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स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है 

स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है 

महात्मा गाँधी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऐसी शख्सियत हैं जिनने प्रारंभ से ही स्वच्छता को महत्व दिया और उनने स्वच्छता को जैसे अपना मिशन ही बना लिया है। ये मोदी ही हैं जिनने देश के शहरों में स्वच्छता की बड़ी प्रतिस्पर्धा शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री मोदी का कहना है कि हमें ये याद रखना है कि स्वच्छता, एक दिन का, एक पखवाड़े का, एक साल का या कुछ लोगों का ही काम है, ऐसा नहीं है। स्वच्छता हर किसी का, हर दिन, हर पखवाड़े, हर साल, पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाला महाअभियान है। स्वच्छता जीवनशैली है, स्वच्छता जीवन मंत्र है। स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है। 
पीएम मोदी ने साल 2014 में देशवासियों के साथ भारत को खुले में शौच से मुक्त करने का संकल्प लिया था। 10 करोड़ से ज्यादा शौचालयों के निर्माण के साथ देशवासियों ने ये संकल्प पूरा किया। अब स्वच्छ भारत मिशन- अर्बन 2.0 का लक्ष्य है कचरा मुक्त शहर, कचरे के ढेर से पूरी तरह मुक्त शहर बनाना है। अमृत मिशन देशवासियों की और मदद करने वाला है। शहरों में शत-प्रतिशत लोगों की साफ पानी तक पहुँच हो,  शहरों में सीवेज का बेहतरीन प्रबंधन हो,  इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। मिशन अमृत के अगले चरण में देश का लक्ष्य है- सीवेज और सेप्टिक मैनेजमेंट बढ़ाना, अपने शहरों को जल सुरक्षित शहर बनाना और ये सुनिश्चित करना कि हमारी नदियों में कहीं पर भी कोई गंदा नाला न गिरे।
स्वच्छ भारत अभियान और अमृत मिशन की अब तक की यात्रा वाकई हर देशवासी को गर्व से भर देने वाली है। इसमें मिशन भी है, मान भी है, मर्यादा भी है, एक देश की महत्वाकांक्षा भी है और मातृभूमि के लिए अप्रतिम प्रेम भी है। देश ने स्वच्छ भारत मिशन के माध्यम से जो हासिल किया है वो हमें आश्वस्त करता है कि हर भारतवासी अपने कर्तव्यों के लिए कितना संवेदनशील है। हर सफलता में भारत के हर नागरिक का योगदान है, सबका परिश्रम है, सबका पसीना है। हमारे स्वच्छताकर्मी, हमारे सफाई मित्र हर रोज झाड़ू उठाकर सड़कों को साफ करने वाले हमारे भाई-बहन कूड़े के बदबू को बर्दास्त करते हुए कचरा साफ करने वाला हमारे साथी सच्चे अर्थ में इस अभियान के महानायक हैं। 
पीएम मोदी बाबा साहेब का भी जिक्र करते हुए कहते हैं कि उन्होंने कहा कि बाबा साहेब, असमानता दूर करने का बहुत बड़ा माध्यम शहरी विकास को मानते थे। बेहतर जीवन की आकांक्षा में गांवों से बहुत से लोग शहरों की तरफ आते हैं। हम जानते हैं कि उन्हें रोजगार तो मिल जाता है लेकिन उनका जीवन स्तर गांवों से भी मुश्किल स्थिति में रहता है।  ये उन पर एक तरह से दोहरी मार की तरह होता है। एक तो घर से दूर, और ऊपर से ऐसी स्थिति में रहना। इस हालात को बदलने पर, इस असमानता को दूर करने पर बाबा साहेब का बड़ा जोर था। मोदी का स्वच्छ भारत मिशन और मिशन अमृत का अगला चरण, बाबा साहेब के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी एक अहम कदम है।
(लेखक-सच्चिदानंद शेकटकर )

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