काबुल । अफगानिस्तान में तालिबान ने नियंत्रण स्थापित करने के बाद बड़े-बड़े वादे किए थे।इसमें लोगों की सुरक्षा, महिलाओं को गरिमापूर्ण जीवन, बेहतर अर्थव्यवस्था और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जैसे कई अहम वादे शामिल थे।हालांकि सरकार बनाने के बाद से ही तालिबान अपने ज्यादातर वादों पर यू-टर्न ले चुका है।अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था के हालात बदतर हैं ही, महिलाओं से काम करने की आजादी छिन गई है और अब तक महिलाओं की शिक्षा को लेकर भी तालिबान किसी तरह का ठोस फैसला नहीं कर पाया है।अब कई इस्लामिक देश मामले में सक्रिय हुए हैं। कई मुस्लिम देशों के विदेश मंत्री काबुल जाने की योजना पर काम कर रहे हैं। ये सभी लोग तालिबान को इस बात का एहसास दिलाना चाहते हैं, कि महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना इस्लाम के खिलाफ है।प्रस्ताव को लेकर पश्चिमी देशों के राजनयिकों ने भी समर्थन दिया है।इन डिप्लोमैट्स का मानना है कि पश्चिमी देशों के बजाय अगर इस्लामिक देशों के प्रतिनिधि तालिबान से गुजारिश करते हैं,तब उनके अनुरोध पर तालिबान के गौर फरमाने की संभावना काफी अधिक है।
गौरतलब है कि तुर्की और इंडोनेशिया के विदेश मंत्रियों के काबुल जाने की सबसे ज्यादा संभावना है।इस सिलसिले में तुर्की के विदेश मंत्री और इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेटनो मार्सुदी ने प्रेसवार्ता साथ की है।उन्होंने कहा कि हम अफगानिस्तान के हालातों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।हम काबुल जाने का प्लान तैयार कर रहे हैं और आने वाले समय में कुछ और देशों के विदेश मंत्री भी हमारे साथ जुड़ सकते हैं।
मामले में डिप्लोमैट का कहना था कि अफगानिस्तान पहुंचकर कहीं ना कहीं इस आइडिया पर भी काम किया जाएगा कि इंडोनेशिया की विदेश मंत्री जो एक महिला हैं, तालिबान के सामने जाकर एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकती हैं। तालिबान मानता है कि महिलाएं बाहर काम करने में सक्षम नहीं हैं और उन्हें घर पर रहना चाहिए लेकिन वे मासुर्दी को देख सकते हैं कि कैसे वे एक इस्लामिक देश में होने के बावजूद विदेश मंत्री बनने में सफल रही हैं।यहां आइडिया तालिबान को लेक्चर देना नहीं बल्कि उन्हें उदाहरण के सहारे पावरफुल संदेश देना है।वहीं इंटरनेशनल कोर्ट चीफ अभियोजक करीम खान ने दोहा में ग्लोबल सिक्योरिटी फोरम में बोलते हुए कहा था कि तालिबान को समझना चाहिए कि वे इस्लाम के अत्यधिक कठोर रूप को फॉलो करने की कोशिश कर रहे हैं।उन्होंने कहा कि इस्लाम के पवित्र पैगंबर ने बहुत साफ तौर पर कहा है कि जो व्यक्ति अपनी बेटियों को शिक्षित करेगा,वहां जन्नत में जाएगा। मुस्लिमों को आयशा से सीखना चाहिए।
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तालिबान को समझने कई मुस्लिम देशों के विदेश मंत्री जा सकते हैं काबुल