जम्मू । भारत ने कहा है कि दुबई के साथ उसका एक समझौता हुआ है जिसके तहत कश्मीर में इंडस्ट्रियल पार्क, इमारतें, मेडिकल कॉलेज और अस्पताल आदि बनाए जाएंगे। धारा 370 खत्म किए जाने के बाद कश्मीर में यह पहला बड़ा निवेश होगा।जब कश्मीर में एक के बाद एक आम लोगों की हत्याएं हो रही हैं और प्रवासी मजदूर इलाका छोड़कर भाग रहे हैं, ऐसे में भारत सरकार ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में ढांचागत निर्माण के लिए दुबई की एक कंपनी के साथ समझौता हुआ है। सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा कि दुबई के साथ एक मेमोरैंडम ऑफ अंडरस्टैंडिग पर दस्तखत हुए हैं जिसके तहत जम्मू कश्मीर में निवेश पर सहमति बनी है। हालांकि सरकार ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया है कि समझौते की शर्तें क्या हैं और कितना निवेश किया जाएगा। अगर यह निवेश होता है तो जम्मू कश्मीर में यह पहला विदेशी निवेश होगा। सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि इस समझौते के तहत इंडस्ट्रियल पार्क, आईटी टावर, बहुमंजिला इमारतें, एक मेडिकल कॉलेज और स्पेशियलिटी अस्पताल बनाने पर सहमति बनी है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने एक बयान में कहा, "जम्मू कश्मीर विकास की जिस लहर पर सवार है, उसे दुनिया ने पहचान लिया है।” इस बयान में कहा गया है कि दुबई की अलग-अलग संस्थाओं ने कश्मीर में निवेश में दिलचस्पी दिखाई है। कश्मीर में मौजूदा हालात श्रीनगर और आसपास के इलाकों में हालात काफी तनावपूर्ण बने हुए हैं। सोमवार को बड़ी संख्या में प्रवासियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। बड़े पैमाने पर लोग कश्मीर छोड़कर भी जा रहे हैं। इसी महीने राज्य में 11 लोगों की हत्याएं हो चुकी हैं। मरने वालों में हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के लोग शामिल हैं। 11 में से पांच लोग प्रवासी कामगार हैं जबकि बाकी स्थानीय लोग थे। इसके बाद लोगों में दहशत का माहौल है। सोमवार को प्रशासन ने हजारों लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जबकि सैकड़ों लोग रातोरात कश्मीर छोड़कर चले गए। एक स्थानीय अधिकारी ने बताया, "हमने हजारों मजदूरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है और उन्हें घर भेजने की व्यवस्था की जा रही है।” इसके अलावा सुरक्षाबलों ने गश्त बढ़ा दी है ताकि उग्रवादी घटनाओं को रोका जा सके। क्यों है तनाव? 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा 370 को खत्म कर दिया था और क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांट दिया था। उसके बाद महीनों तक इलाका सेना के कठोर कर्फ्यू में रखा गया। तब से इलाके में आमतौर पर शांति बनी हुई थी लेकिन इस महीने ही हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया, जिसने तनाव और दहशत बढ़ा दी है। मुस्लिम बहुत कश्मीर घाटी में हजारों की संख्या में भारत के दूसरे राज्यों से आए प्रवासी काम करते हैं। कई क्षेत्र तो इन प्रवासी मजदूरों के दम पर ही टिके हैं। लेकिन मौजूदा हमलों ने इन प्रवासियों को डरा दिया है। इससे पहले कश्मीर में हालात काफी खराब रहे हैं लेकिन प्रवासियों और आम नागरिकों को चुनकर मारने की घटनाएं पहली बार हो रही हैं। 32 साल के मोहम्मद सालेम पिछले छह साल से कश्मीर में काम कर रहे हैं। बिहार के रहने वाले सालेम कहते हैं, "हमने इससे बुरा समय देखा है लेकिन हमें कभी निशाना नहीं बनाया गया। इस बार डर लग रहा है सालेम ने बताया कि पुलिस ने उन्हें और उनके साथियों को रविवार रात के वक्त उनके किराये के घर से उठाया और एक सुरक्षित जगह ले गई। वह कहते हैं, "हम यहां खाली तो नहीं बैठे रह सकते। हम वापस चले जाएंगे
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दुबई कश्मीर में बड़ा निवेश करेगा : भारत