पाकिस्तान की एक अदालत ने मानसिक रूप से विक्षिप्त एक कैदी के लिए मौत का वॉरंट जारी किया है जिससे 18 जून को उसे फांसी पर चढ़ाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। इस बात को लेकर मानवाधिकार समूहों ने गंभीर चिंता जताई है। गुलाम अब्बास (36) को 2006 में रावलपिंडी में जिला और सत्र न्यायालय ने अपने पड़ोसी की हत्या के मामले में मौत की सजा सुनाई थी और वह पिछले 13 वर्षों से जेल में बंद है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, अब्बास के मानसिक तौर पर बीमार होने के साफ लक्षण नजर आते हैं और रावलपिंडी की सत्र अदालत ने उसके लिए मौत का वारंट जारी किया है। मौत का वारंट जारी होने के बाद से मानवाधिकार संगठन अपील कर रहे हैं कि कैदी के मानसिक रोगी होने पर विचार करते हुए उसकी मौत की सजा रोकी जाए। मानवाधिकार कानूनी संगठन जस्टिस प्रॉजेक्ट्स पाकिस्तान ने कहा कि अब्बास की फांसी की सजा रोकी जानी चाहिए और उसे मानसिक रोगियों के अस्पताल में भेजा जाना चाहिए।