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अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल का निधन, कोरोना वैक्सीन के प्रभाव पर खड़े हुए सवाल 

अमेरिकी विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल का निधन, कोरोना वैक्सीन के प्रभाव पर खड़े हुए सवाल 

न्यूयॉर्क । अमेरिका के पहले अश्वेत विदेश मंत्री कॉलिन पॉवेल का सोमवार को निधन हो गया था। कोरोना से जुड़ी परेशानियां ही उनकी मौत का कारण बनीं।खास यह है कि पॉवेल कोविड के खिलाफ वैक्सीन की दोनों डोज हासिल कर चुके थे। इसके बाद उनकी मौत ने वैक्सीन के प्रभाव और असर को लेकर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।हालांकि, वैज्ञानिकों ने कई और कारण हैं।इसके अलावा आंकड़े बताते हैं, कि ब्रेकथ्रू डेथ यानि वैक्सीन हासिल करने के बाद मौत की दर केवल 0.2 से लेकर 6 फीसदी है। 
रिपोर्ट के अनुसार, आशंका है कि मल्टीपल मायलोमा (व्हाइट ब्लड सेल्स का कैंसर) के कारण पॉवेल का इम्यून सिस्टम कमजोर हो गया था।दोनों ही बीमारियां और इलाज व्यक्ति में संक्रमणों के जोखिम को बढ़ा देते हैं।वैज्ञानिकों का कहना है कि उनकी उम्र 84 साल थी,इसकारण शायद जोखिम बढ़ गया था। 
इधर, पॉवेल की मौत के बाद वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकारण कोविड-19 वैक्सीन से भरोसा कम नहीं किया जाना चाहिए। इनके चलते कोविड के गंभीर मामलों और मौतों में काफी कमी आई है।उन्होंने कहा, वैक्सीन लेने का मतलब यह है कि आप जानना चाहते हैं कि इसके फायदे स्पष्ट रूप से जोखिम से ज्यादा हैं।
40 राज्यों के डेटा का विश्लेषण किया था, जिसमें पता चला था कि पूरी तरह टीकाकरण कराने वाले में से कोविड-19 के चलते 0.2 से लेकर 6 फीसदी की मौत हुई थी।वैक्सीन काफी असरदार है।यहां तक कि डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ भी इसका प्रदर्शन अच्छा रहा है।रिपोर्ट में सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के हवाले से लिखा है कि पूरी तरह टीकाकरण करा चुके 18.7 करोड़ अमेरिकियों में से 7 हजार 178 की मौत हुई है।इनमें से 85 फीसदी मृतकों की उम्र 65 साल या इससे ज्यादा थी।
पॉवेल का मल्टीपल मायलोमा को लेकर इलाज चल रहा था।यह प्लाज्मा सेल का कैंसर होता है और प्लाज्मा सेल एंटीबॉडीज बनाते हैं।इसमें इम्यून सिस्टम में इनकी भूमिका और अहम हो जाती है।रिपोर्ट के अनुसार, मल्टीपल मायलोमा का शिकार लोगों में वैक्सीन का असर कम होने की संभावनाएं भी हैं।पूर्व मंत्री के सहायक ने बताया कि पॉवेल को फरवरी में फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन का दूसरा डोज लगा था। उन्हें पिछले हफ्ते बूस्टर डोज लगाया जाना था, लेकिन उसे प्राप्त करने से पहले ही वहां बीमार हो गए, उन्होंने जानकारी दी कि पॉवेल ने पार्किंसन्स बीमारी का इलाज भी कराया था। 
 

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