कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी 24 अक्टूबर यानि रविवार को करवा चौथ का पवित्र त्यौहार है। पांच साल बाद इस करवा चौथ पर शुभ योग बन रहा है। करवा चौथ का पूजन इस बार रोहिणी नक्षत्र में होगा, वहीं रविवार का दिन होने के कारण सूर्य का भी उपवास कर रही महिलाओं को आशीर्वाद प्राप्त होगा।इस दिन रोहिणी नक्षत्र में चांद निकलेगा और पूजन होगा।इस बार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 24 अक्टूबर रविवार सुबह 3 बजकर 1 मिनट पर शुरू होगी, जो अगले दिन 25 अक्टूबर को सुबह 5 बजकर 43 मिनट तक रहेगी। इस दिन चांद निकलने का समय 8 बजकर 11 मिनट पर है। पूजन के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 06:55 से लेकर 08:51 तक रहेगा।
करवाचौथ को महिलाएं निर्जला उपवास रखती हैं और रात में चांद देखने के बाद अपना उपवास पूरा करती हैं। कहा जाता है कि इस दिन सुहागिन स्त्रियां उपवास रखती है तो उनके पति की उम्र लंबी होती है और उनका गृहस्थ जीवन सुखी रहता है।
करवा चौथ का उपवास सूर्योदय से पहले शुरू होता है, जिसे चांद निकलने तक रखा जाता है। इस उपवास में सासू मां अपनी बहू को सरगी देती है।इस सरगी को लेकर बहुएं अपने उपवास की शुरुआत करती हैं।
इस उपवास में शाम के समय शुभ मुहूर्त में चांद निकलने से पहले शिव परिवार की पूजा की जाती है।चांद निकलने के बाद महिलाएं चंद्रमा को अर्घ्य देती हैं और अपने पति के हाथ से पानी पीकर उपवास खोलती हैं।
करवाचौथ व्रत की पूजा विधि
-सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाएं। सरगी के रूप में मिला हुआ भोजन करें, पानी पीएं और भगवान की पूजा करके निर्जला उपवास का संकल्प लें।
-करवाचौथ में महिलाएं पूरे दिन जल-अन्न कुछ ग्रहण नहीं करतीं फिर शाम के समय चांद को देखने के बाद दर्शन कर उपवास खोलती हैं।
-पूजा के लिए शाम के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना कर इसमें करवे रखें।
-एक थाली में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर रखें और घी का दीपक जलाएं।
-पूजा चांद निकलने के एक घंटे पहले शुरु कर देनी चाहिए।इस दिन महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं।
कहा जाता है, एक साहूकार के सात बेटे और उनकी एक बहन करवा थी। सभी सातों भाई अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। यहां तक कि वे पहले उसे खाना खिलाते और बाद में स्वयं खाते थे। एक बार उनकी बहन ससुराल से मायके आई हुई थी।
शाम को भाई जब अपना व्यापार-व्यवसाय बंद कर घर आए तो देखा उनकी बहन बहुत व्याकुल थी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्य देकर ही खा सकती है। चूंकि चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।
सबसे छोटे भाई को अपनी बहन की हालत देखी नहीं जाती और वह दूर पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो।
इसके बाद भाई अपनी बहन को बताता है कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है, उसे अर्घ्य देकर खाना खाने बैठ जाती है।
वह पहला टुकड़ा मुंह में डालती है तो उसे छींक आ जाती है। दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें बाल निकल आता है और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। वह बौखला जाती है।
उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का उपवास गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं और उसके साथ ऐसा हो गया।
सच्चाई जानने के बाद करवा निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी और अपने सतीत्व से उन्हें पुनर्जीवन दिलाकर रहेगी। वह पूरे एक साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। उसकी देखभाल करती है। उसके ऊपर उगने वाली सूईनुमा घास को वह एकत्रित करती जाती है।
एक साल बाद फिर करवा चौथ का दिन आता है। उसकी सभी भाभियां करवा चौथ का उपवास रखती हैं। जब भाभियां उससे आशीर्वाद लेने आती हैं तो वह प्रत्येक भाभी से 'यम सूई ले लो, पिय सूई दे दो, मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो' ऐसा आग्रह करती है, लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह चली जाती है।
इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात दोहराती है। यह भाभी उसे बताती है कि चूंकि सबसे छोटे भाई की वजह से उसका उपवास टूटा था ।इसलिए उसकी पत्नी में ही वह शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दोबारा जीवित कर सकती है, इसलिए जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा न कर दे, उसे नहीं छोड़ना। ऐसा कह कर वह चली जाती है।सबसे अंत में छोटी भाभी आती है। करवा उनसे भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है, लेकिन वह टालमटोली करने लगती है। इसे देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उससे छुड़ाने के लिए नोचती है, खसोटती है, लेकिन करवा नहीं छोड़ती है।
अंत में उसकी तपस्या को देख भाभी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्रीगणेश-श्रीगणेश कहता हुआ उठ बैठता है। इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के माध्यम से करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है।
करवा चौथ का उपवास भारतीय स्त्रियों के द्वारा अपने पति की लम्बी आयु के लिए रखा जाता है । वही कुंवारी लड़कियां करवा चौथ का उपवास एक अच्छे वर की तलाश में रखती है। जहां सुहागिन इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करती है तो वहीं, कुंवारी लड़कियां तारों को पूजती हैं। अगर आप भी करवा चौथ का उपवास रखती है तो जानिए इस दिन को कैसे खास बनाया जाए और क्या करें जो इस दिन के लिए शुभ हो और ऐसा क्या ना करें जो अशुभ हो।
करवा चौथ के दिन क्या करना शुभ है
करवा चौथ के दिन अगर आप अपनी शादी का जोड़ा पहनती है तो यह अधिक शुभ माना जाता है
करवा चौथ के दिन लाल और पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
करवा चौथ के दिन अपने पति के पैर छुने से आपके सौभाग्य में बढ़त होती है। यदि इस दिन आप अपने पति की नजर उतारती है तो उनकी सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।
करवा चौथ के दिन यदि आप करवा चौथ की कथा का पाठ करती है तो आपको पूर्ण फल की प्राप्ति होती है।
करवा चौथ के दिन बहु को अपनी सास से कुछ कपड़े, फल और मिठाईयां प्राप्त होती है जो त्योहार की दृष्टि से आवश्यक है, जिसे भारतीय भाषा में सरगी कहा जाता है ।
करवा चौथ के दिन पत्नी को भी अपने पति को उपहार भेंट करना चाहिए, जिससे की आपके भाग्य में वृद्धि हो सके।
चंद्रमा की पूजा करते समय एक दीपक जरूर जलाना चाहिए और फिर पति के हाथ से ही कुछ खाना पीना चाहिए और खुद भी अपने पति को कुछ खिलाना चाहिए ।
करवा चौथ के दिन पत्नी को मंगलसूत्र अवश्य पहनना चाहिए और उस पर हल्दी लगानी चाहिए।
करवा चौथ के दिन घर में सात्विक खाना बनना चाहिए क्योंकि इस दिन माता को भोग लगाया जाता है।
करवा चौथ के दिन घर के बड़े-बुजुर्गों का आर्शीवाद लेना चाहिए और सास के आर्शीवाद के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है ।(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है)
(लेखक- डॉ श्रीगोपाल नारसन एडवोकेट)