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एहसासात -ए - मच्छर 

एहसासात -ए - मच्छर 


गेंडामल को नित्य नये प्रयोग करने का बहुत शौक़ था। रोज़ की तरह एक दिन जब वह बाथरूम में नहाने गया तो अचानक 'खाये पिये परिवारों' के कई मोटे मच्छरों ने गेंडामल के निःवस्त्र शरीर की गेंडे जैसी खाल पर डंक चुभोना शुरू कर दिया। पहले तो गेंडामल ने डांस ट्वीस्ट आदि कर उन मच्छरों से पीछा छुड़ाना चाहा। परन्तु फिर जब वे न माने तो गेंडामल ने सोचा कि आज इन सभी मच्छरों को नई नई तकनीक से मारा जाये ताकि इनकी नस्लें भी मुझसे डर कर रहें और भूल कर भी मुझे डसने की ग़लती न करें। उसने एक एक कर पांच मच्छर मारे और सभी के साथ मारने की अलग अलग विधि का प्रयोग किया।
गेंडामल ने एक मच्छर को बाथरूम में लगे हैण्ड जेट की तेज़ धार के निशाने में लेकर बहा दिया तो दूसरे उड़ते हुए मच्छर पर उसने पानी का भरा डोंगा भरकर निशाना लगाकर उसपर तेज़ी से पानी फेंका। वह मच्छर भी बह गया। तीसरा फ़र्श पर बैठा था उसे भी पानी भरे डोंगे की तेज़ धार में बहा दिया। चौथे मच्छर को अपने दोनों हाथों के बीच निशाना साध ज़ोरदार ताली बजाकर मार डाला। फिर उसने देखा कि पांचवां और आख़िरी मच्छर फ़र्श पर डरा सहमा सा बैठा है। उसने पानी की भरी पूरी बाल्टी झटके से उसपर डाली और वह भी पानी की तेज़ धार में लापता हो गया।
मरणोपरांत इन मच्छरों की स्वर्ग में भेंट हुई। सब एक दूसरे को पहचान गये और एक दूसरे से उनकी मौत का कारण पूछने लगे। अब ज़रा एहसास-ए- मच्छर ग़ौर फ़रमाइये। पहले ने बताया कि मैं तो बहुत तेज़ मूसलाधार बारिश में बह कर मर गया था। दूसरा बोला अरे मेरे ऊपर तो बादल ही फट गया था। तीसरे ने बताया कि मैं बाढ़ में बहकर मरा हूँ। चौथे ने कहा कि मैं  तो दो चट्टानों के बीच दबकर चटनी बन गया था। अब सबने पांचवें से पूछा हाँ मच्छर भाई आप को मौत कैसे आई ? उसने कहा अरे मुझ पर तो क़ुदरत ने बहुत ज़ुल्म ढहाया। तुम लोगों के साथ तो समझो कुछ भी नहीं हुआ। तुम चारों के जाने के बाद मैं अकेला शोकमग्न होकर फ़र्श के एक कोने में बैठा तुम सब के साथ छोड़ जाने और अपनी तन्हाई का सोग मना ही रहा था कि अचानक सुनामी आ गयी और हमें बहाकर ले गयी। सभी मच्छर गेंडामल की कुटिल तदबीरों को क़ुदरत की मार समझ रहे थे तो उधर गेंडामल भी नहाने के बाद बाथरूम से मुस्कुराता हुआ निकला और अपने आप में ईश्वरीय एहसास लिये मूछें ऐंठते हुए बुदबुदा रहा था-'आज पांच मच्छरों को ऐसा सबक़ सिखाया है कि अब इनकी चार पुश्तें भी मुझे परेशान नहीं करेंगी'। मगर यह तो गेंडामल की भूल थी। अगले दिन तो उसके नहाते वक़्त उसी बाथ रूम में पहले से भी कई गुना अधिक मच्छर थे। 
(लेखक- तनवीर जाफ़री )

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