नई दिल्ली । क्या आप जानती हैं कि प्रेग्नेंसी में नाइट शिफ्ट में काम करना बच्चे और मां की सेहत के लिए सही होता है गलत? अध्ययन के अनुसार रात को हमारे सोने का समय होता है और इस समय में काम करने से सरकैडियन रिदम बदल सकता है। सरकैडियन रिदम, शारीरिक, मानसिक और व्यवहारिक बदलाव होता है जो 24 घंटे के साइकिल को फॉलो करता है।
सरकैडियन रिदम मासिक चक्र और प्रेग्नेंसी हार्मोंस को नियंत्रित करता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का कहना है कि कई घंटे काम करने या नाइट शिफ्ट में काम करने से मासिक विकार, मिसकैरेज और प्रीटर्म बर्थ हो सकता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं की अक्सर नींद पूरी नहीं हो पाती है जिससे उनका मासिक चक्र भी प्रभावित होने लगता है।नाइट शिफ्ट में काम करने से गर्भवती महिला को एंग्जायटी अटैक और स्ट्रेस हो सकता है। इसका असर गर्भस्थ शिशु पर पड़ सकता है और प्रीटर्म डिलीवरी का जोखिम भी बढ़ सकता है। जो महिलाएं देर तक काम करती हैं खासतौर पर नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, उनमें प्रीमैच्योर डिलीवरी का खतरा रहता है। कुछ मामलों में तो मिसकैरेज तक हो सकता है। अगर आप प्रेग्नेंसी में नाइट शिफ्ट की जॉब नहीं छोड़ सकती हैं, तो निम्न बातों का ध्यान रखकर जोखिमों को कम कर सकती हैं- जैसे ऑफिस में किसी भी तरह के स्ट्रेस से बचें क्योंकि इससे बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है। अपने काम को इस तरह मैनेज करें कि स्ट्रेस न हो। ज्यादा देर तक खड़ी न रहें और ऐसी पोजीशन में न रहें जिसमें आपको कंफर्टेबल महसूस न हो रहा हो। प्रेग्नेंसी में आंखों से धुंधला दिखाई दे सकता है इसलिए ज्यादा देर तक लैपटॉपऔर कंप्यूटर पर काम करने से आंखों पर स्ट्रेस और ज्यादा बढ़ सकता है।
आंखों को स्ट्रेस से बचाने के लिए तेज या बहुत ज्यादा धीमी रोशनी से बचें। आपके बैठने का पोस्चर आरामदायक होना चाहिए, इससे बच्चे पर कम प्रेशर पड़ता है। एक्सपर्टस के अनुसार, दिन की बजाय पूरी रात जागकर काम करना शरीर पर अलग प्रभाव डालता है और अगर आप नाइट शिफ्ट में काम करती हैं, तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि आप प्रेग्नेंसी में इस जॉब टाइमिंग को फॉलो कर सकती हैं या नहीं।
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प्रेग्नेंसी में नाइट शिफ्ट में काम करने के ये हैं नुकसान - महिलाओं के रात में काम करने से बदल सकता है सरकैडियन रिदम