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कान बंद होना बहुत खतरनाक 

कान बंद होना बहुत खतरनाक 

कान शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में से एक है। कान से ध्वनि का पता चलता है, इसलिए इनका स्वस्थ होना बेहद जरूरी है। बंद कान की समस्या को कई नामों से जानते हैं। कई लोग बोलते हैं कान में मोम हो गया, तो अनेक लोग कहते हैं कि कान में मैल हो गया है। कुछ लोग कान में गंदगी होना भी बोलते हैं। जब भी किसी व्यक्ति का कान बंद होता है तो वह माचिस की तीली या अन्य किसी चीज से कान को खुजाने की कोशिश करता है।  अनुचित तरीके से कान से गंदगी निकालने से कान को बहुत नुकसान भी पहुंच सकता है। इसलिए यहां कान के मोम को निकालने के लिए अनेक घरेलू उपाय बताए जा रहे हैं, जिनका प्रयोग कर आप आसानी  से कान की गंदगी को बाहर निकाल सकते हैं।
       आयुर्वेद में कान के बंद होने की समस्या के लिए अनेक घरेलू इलाज  इनका पालनकर बंद कान की समस्या से निजात पा सकते हैं।
     कान का बंद होना क्या है?
    कान मनुष्य के शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है। जब कान में लगातार कुछ जमा होने लगता है तो कान बंद होने लगता है। इस स्थिति में पीड़ित को कम सुनाई देता है। कान में एक नली होता है, जिससे ध्वनि की तरंगें अंदर आती हैं। कान के आंतरिक हिस्से में मौजूद पतली नलिकाओं में जलन, सूजन, कान में मैल भर जाने और कान में संक्रमण हो जाने के कारण हैं कान बंद हो सकते हैं। इसी तरह चक्कर, एलर्जी और साइनस की वजह से भी कम सुनाई देता है।
      कान के बंद होने पर ये लक्षण महसूस होते हैंः-
      कानों में लगातार कुछ भराव महसूस होना।
     कानों का लगातार बजना।
    कानों में सनसनी होना।
    कान में सीटी के बजने का अनुभव होना।
    कानों में जलन होना।
   कानों में असुविधाजनक लगना।
    कानों में दर्द होना।
    कानों में हवा आने का अनुभव होना।
    कानों में खुजली होना।
   अक्सर गले में खराश होना।
    कान में कोई द्रव्य बहता हुआ महसूस होगा।
    कुछ लोगों को भीषण दर्द  होता है, तो कुछ को थोड़ी परेशानी-सी लगती है, और कुछ को कोई दर्द महसूस नहीं होता।
    सिर दर्द हो सकता है।
   नींद कम आना।
   कानों से कम सुनाई देना।
    कान बंद होने के कारण
    कान के बंद होने या भर जाने के ये कारण हो सकते हैंः-
     अचानक अधिक ऊँचाई जैसे कि पर्वतीय स्थानों में ड्राइव करना या विमान में उड़ान भरना।
     कान के बाहरी हिस्से में काफी मैल भर जाना।
     बाहरी वातावरण में बहुत ज्यादा गंदगी के कारण भी कानों में सनसनी होने से लेकर कान बंद तक हो सकते हैं।
    जुकाम, बुखार के कारण
    साइनस के कारण।
    नहाने या तैरने के दौरान कान के अंदर पानी घुस जाने पर।
    घूमर या स्ट्रोक की वजह से भी।
    कान में संक्रमण की समस्या भी हो सकती है।
    कान में आसानी से तरल पदार्थ प्रवेश कर सकता है। इसके कारण यह कान को संक्रमित कर देता है।
    अगर कान में किसी तरह की चोट लग गई है तो इसके कारण भी सुनने की क्षमता कम हो जाती है।
जानलेवा घटना जैसे विस्फोट या वाहन चलाते समय कोई दुर्घटना हुई तो कान के पर्दे में छेद होने से कान में अचानक दर्द हो सकता है।
     कान के बंद होने की समस्या में घरेलू उपचार
     संतुलित आहार से आपके शरीर को पोषण मिलता है। शारीरिक गतिविधियां जैसे योगाभ्यास आदि आपके शरीर और दिमाग को दुरुस्त रखकर रोग-प्रतिरोधक क्षमता का विकास करता है। इन्हीं गतिविधियों के गड़बड़ाने के कारण शरीर में विकार उत्पन्न होते हैं। बंद कान की समस्या भी इन्हीं कारणों से होता है, जिसके लिए ये घरेलू उपाय कर सकते हैंः-
    टी-ट्री ऑयल का उपयोग
    गर्म पानी में टी-ट्री ऑयल को मिला लें। इसकी भाप में कान के अंदर आने दें। इससे कान के दर्द से आपको आराम मिल जाएगा।
    यूकेलिप्टस के तेल
     पानी गर्म करके एक बर्तन में लें। इसमें 2-3 बूंद यूकिलिप्टस का तेल डाल लें। इसके भाप को कान के अंदर आने दें। इससे बंद कान खुल जाते हैं। ऐसा दिन में 3-4 बार करें।
     जैतून के तेल
    एक चम्मच जैतून का तेल गर्म कर लें। जब यह ठंडा हो जाए तो इसे कान में डालें। इससे कान के दर्द से तो आराम मिलता ही है साथ ही कान की गंदगी भी बाहर आ जाती है।
    सेब के सिरके
   सेब के सिरके में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं। आप इसमें थोड़ा-सा एल्कोहल मिला लें। इसे कान में दो से चार बूंदे डालें। बाद में इयर बड से कान साफ कर लें।
    सरसों के तेल
    सरसों का तेल हल्का गुनगुना करके रात को सोने से पहले कान में दो-दो बूंद टपका दें। सुबह उठकर इयर बड से कान साफ कर लें।
    लहसुन का प्रयोग
   लहसुन के तेल का प्रयोग करने से बंद कान खुल जाता है। इसको तैयार करने के लिए तीन से चार लहसुन की कलियों को पीस लें। इसे एक चम्मच सरसों के तेल में डुबों दें। कुछ देर तक गर्म करें। इसे बाद में छान दें। ठण्डा होने के बाद कान में डालें।
      लैवेंडर तेल की कुछ बूंद को पानी में डालें। इसकी भाप लें। ऐसा करने से काफी आराम मिलेगा। कान में जमा वैक्स भी पिघल जाएगा। बाद में आप कॉटन से साफ कर लें।
       सीधे रहकर गुनगुने पानी की कुछ बूंद कानों में डालें। बाद में कान को उल्टा करके पानी को निकाल दें। इसके बाद में इयरबड से कान साफ कर लें।
     यदि कान बन्द होने की वजह से दर्द कर रहा हो तो जम्हाई लें। ऐसा करने से प्रेशर बनेगा, और आपको आराम मिलेगा।
    कान बंद होने पर गर्मा-गर्म सूप पिएं। इससे काफी आराम मिलेगा, और मस्कस भी नरम हो जाएगा।
     यदि आप अपने भोजन में चिली और पिपर की मात्रा बढ़ा लेते हैं तो भी कान में कसकर खुजली होने लगती है। इससे आपको लाभ मिलता है। स्पाइसी फूड की ट्रिक को अवश्य अपनाएं।
      गुनगुने पानी से कुल्ला करें। पानी में हल्का-सा नमक मिला लें। इसे घोलकर गरारे करें। इससे कान के दर्द में राहत मिलती है।
      कान बंद होने से आपको झुंझलाहट होती है। ऐसे में कपड़े को प्रेस से गर्म करें और कान पर रखें। ऐसा करने से कान के दर्द से आराम मिलता है।
      हवा के अचानक दबाव के कारण होने वाले बंद कान के लिए आप च्युइंग-गम का इस्तेमाल कर सकते हैं। यह बंद कान को खोलने, कान में अतिरिक्त दबाव से राहत और बंद कान को खोलने में मदद करता है।
     अपने मुँह को बंद करके दोनों नाक के छिद्र को अपनी उँगलियों से बंद करके गहरी सांस छोड़ें। यदि आप ऐसा ठीक से करते हैं तो कान बंद होने की समस्या आसानी से दूर हो जाएगी।
      1/2 कप गर्म पानी में कुछ बूंदे ग्लीसरीन की डालें। इस घोल की कुछ बूंदे कान में डाल कर 10 मिनट तक छोड़ दें। गुनगुने पानी के साथ कान धो लें।
       कान बंद होने की समस्या में आपका खान-पान
कान बंद होने की समस्या के लिए आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
     एलर्जी वाली चीजों को ना खाएं।
    और खान-पान पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान दें।
     कान बंद होने की समस्या में आपकी जीवनशैली
     बेहतर जीवन शैली से किसी भी समस्या पर काबू पाया जा सकता है, इसलिए बंद कान की समस्या में ये जीवनशैली का पालन करना चाहिएः-
नहाने के बाद कानों को अच्छे से सुखाएं।
कानों को नियमित रुप से सफाई करें।
तेज आवाज के माहौल से आने के बाद 10 मिनट तक ऐसी जगह रहें, जहां बिल्कुल भी शोर ना हो।
स्वीमिंग पूल में कानों को नुकसान होने की सम्भावना होती है। पूल में पानी को साफ रखने के लिए क्लोरीन का प्रयोग किया जाता है। इससे कानों में दर्द होना या तरल पदार्थ बहने की समस्या हो सकती है। इससे बचने के लिए ईयर प्लग का इस्तेमाल  करना जरूरी है।
 मशीनों, फैक्ट्रियों और खासतौर पर ऑटोमोबाइल से निकलने वाले शोर के कारण वातावरण में ध्वनि प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। इस शोर के कारण सुनने की क्षमता कम हो रही है। इन फैक्ट्रियों से निकलने वाली रेडियेशन, त्वचा के साथ कानों को भी नुकसान पहुँचा रहा है।
   कान के बंद होने पर परहेज
प्रदूषण से बचें।
बच्चों को सर्दी से बचाएं।
शोर-शराबे से दूरी बनाए रखें।
खासतौर पर ध्वनि प्रदूषण से बचें।
टीवी को तेज आवाज कर ना देखें।
कानों में कोई नुकीली चीज ना डालें।
रेडियो या टीवी तेज आवाज में ना सुनें।
बच्चों को कान में नुकीली चीजें ना डालने दें।
स्वीमिंग करते समय ईयर प्लग का प्रयोग करें।
तेज आवाज में ईयरफोन लगाकर गाने ना सुनें।
फैक्ट्रियों में लगी मशीनों से निकलने वाली रेडियेशन से दूर रहें। वह कान के लिए हानिकारक हो सकती है।
तेज आवाज में ईयरफोन लगाकर गाने नहीं सुनें। ऐसा चलन आज के युवाओं में अधिक देखने को मिलता है। इसके लगातार इस्तेमाल से सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। लम्बे समय तक तेज ध्वनि सुनने से कान के पर्दे की मोटाई प्रभावित होती हैं, और धीमी आवाजें भी सुनाई नहीं देती।
     आयुर्वेदिक उपायों से भी फायदा ना मिलने के ये कारण हो सकते हैं-
     आयुर्वेदिक उपाय का ढंग से प्रयोग ना करना।
    आयुर्वेदिक उपाय का प्रयोग करते समय परहेज ना करना।
     इस स्थिति में डॉक्टर से सम्पर्क करेंः-
    जब कान बहने लगे।
    जब कान में अत्यधिक खुजली हो।
    सर्दी-जुकाम के बाद कान में दर्द होना।
    छोटे बच्चों का दर्द से रात में बार-बार रोना।
    जब कान से कुछ सुनाई ना दे या धीमा सुनाई दें।
    जब संक्रमण लम्बे समय तक बना रहता है तो परदे में छेद हो जाता है। ज्यादा दिनों तक बीमारी रहने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।
: आयुर्वेदिक योग --साारिवादि वटी लाभकारी हैं
(लेखक-डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन )

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