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 नर्स,वार्ड ब्याय एवं सफाई कर्मी हाॅस्पीटल की रीढ़ है! 

 नर्स,वार्ड ब्याय एवं सफाई कर्मी हाॅस्पीटल की रीढ़ है! 

किसी भी चिकित्सालय में चले जाइये, रोगी को बेड पर से उठाते - बैठाते, जांच के लिये जांच केन्द्र पर ले जाते हुये, चिकित्सक की देख रेख में हर कदम पर रोगी के सहायक की भूमिका निभाते, उसकी हर दिनचर्या में सही साथी की तरह मदद करते वार्ड ब्याय को देखा जा सकता है। चिकित्सक की सलाह पर रोगी को समय से दवा देने एवं समय -समय पर जांच करते रहने के कार्य को नर्स ही पूरा करते है। चिकित्सालय को साफ सूथरा बनाये रखने एवं रोगी के आस - पास के वातावरण को साफ रखने में सफाई कर्मचारी नजर आते है। ये नर्स , र्वाउ ब्याय एवं सफाई कर्मी सही अर्थ में किसी चिकित्सालय की रीढ़ होते है जिनके बिना किसी भी रोगी की सही ढं़ग से चिकित्सा कर पाना कतई संभव नहीं। चिकित्सक रोगी की जांच कर सकता है, दवाई लिख सकता है पर रोगी को चिकित्सक तक ले जाने, जांच में रोगी को उठाने - बैठाने में र्वाउ ब्याय की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होती है। इस तरह के कार्य में सेवा की भावना सर्वोवरि होती है। चिकित्सालय को साफ रखने में सेवा कर्मी की सेवा भाव की भूमिका को कम नहीं आंका जा सकता जिसके बिना चिकित्सा का सही उदेश्य कभी पूरा नहीं हो सकता। जहां नर्स, वार्ड ब्याय, सफाई कर्मी नहीं होते वहां केवल विकित्सक से रोगी की सही चिकित्सा कभी संभव हीं नहीं।
किसी महामारी के प्रकोप से आम जन जीवन को बचाने की दिशा में अपने को संकट में डालकर चिकित्सक के साथ - साथ सेवा भाव से युद्ध स्तर पर अपने कार्य को करते हुये  नर्स , वार्ड ब्याय एवं सेवाकर्मी को देखा जा सकता है जिनके सहयोग के बिना महामारी पर नियंत्रण कर पाना कतई संभव नहीं। इस तरह के समय में महामारी से ग्रसित रोगी की सही देख भाल करने एवं उसे ठीक होने में भेद भाव रहित इनके सेवा भावपूर्ण कार्य को देखा जा सकता है। जहां संक्रमण के कारण रोगी के संबंधी में आने से कतराते है वहां ये खड़े मिलते। अभी हाल हीं में विश्वभर में फैली कोरोना महामारी के दौरान इनके द्वारा किये सराहनीय सेवा भाव को आसानी से देखा जा सकता। इसके पूर्व देश में आई महामारी प्लेग, चेचक, स्पाईन फ्लू आदि संक्रमित बीमारी के फैलने पर संक्रमित रोगियों की सेवा करते इस वर्ग को देखा जा सकता है। इनके सहयोग के बिना किसी भी महामारी से लड़ पाना कतई संभव नहीं। 
समाज का यह वर्ग सामाजिक दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण है जिनके सहयोग से नया जीवन दान मिलता है। चिकित्सालय का शल्य, मेडीसीन चिकित्सा विभाग हो या रिहैबीलेशन सेंटर हर जगह इनकी अनोखी सेवा देखी जा सकती है। ऐसे रोगी जिनके पास उनके परिजन भी जाने से कतराते है वहां ये उसकी देख रेख करते मिलते है। इस तरह के महत्वपूर्ण कार्य करने वालों के कार्य का कोई मूल्य नहीं, इस तरह के कार्य अनमोल होते है। फिर भी समाज के इस जनोपयोगी वर्ग के कार्य का सही मुल्यांकन होना चाहिए। इस तरह की सेवा में जुड़े ठेकादारी प्रथा से आने वालों का वेतन एवं अन्य भत्ता स्थाई लोगों की तुलना में काफी कम होता है जब कि इनके उपर कार्य का भार सबसे ज्यादा होता है। इस दिशा में विचार किया जाना बहुत जरूरी है। जिनसे इस वर्ग में असंतोष न उभरे। 

(लेखक- डॉ. भरत मिश्र प्राची)

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