लंदन । ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है कि अगर ग्लास्गो में शुरु हुआ संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण शिखर सम्मेलन नाकाम हो गया, तो इस दिशा में की गई सभी कोशिशें नाकाम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि ग्लास्गो में पेरिस समझौते से आगे की बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय अगर निर्णायक ढ़ंग से पहल नहीं की गई तो फिर बहुत देर हो जाएगी। इस समिट में अगर किसी सकारात्मक पहल पर सहमति नहीं बनी, तो दुनिया के सामने क्लाइमेट चेंज नए संकट पैदा कर सकता है। स्कॉटलैंड के ग्लास्गो में रविवार से कॉप-26 समिट शुरू हो गया है। सवाल यह है कि क्या दुनिया के तमाम बड़े नेता जॉनसन की इस टिप्पणी को गंभीरता से लेते हुए किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने का प्रयास करेंगे।
कॉप-26 के पहले जी-20 देशों की बैठक में भी क्लाइटमेट चेंज को लेकर चिंताएं प्रकट की गईं थीं। इस समिट में तय किया गया कि ग्लोबल वॉर्मिंग का लेवल 1.5 डिग्री सेल्सियस कम किया जाए। जलवायु परिवर्तन पर 2015 में पेरिस समझौता हुआ था। इसका एक ही मकसद था कि कार्बन उत्सर्जन कम करके दुनिया को ग्लोबल वॉर्मिंग से बचाया जाए। इसमें तय हुआ था कि सभी देश मिलकर सख्त कदम उठाएं और कम से कम 2 डिग्री सेल्सियस तापमान कम करने का लक्ष्य हासिल किया जाए। बदकिस्मती से दुनिया के देश इसे लागू करने में नाकाम रहे। सब अपनी-अपनी मजबूरियां गिनाते रहे, लेकिन विश्व पर्यावरण की चिंता किसी ने नहीं की।
बोरिस जॉनसन वादा कर चुके हैं कि उनकी सरकार 2050 तक नेट जीरो एमिशन का लक्ष्य हासिल कर लेगी। यानी ब्रिटेन से कार्बन उत्सर्जन नहीं के बराबर होगा। अमेरिका, सऊदी अरब और रूस भी यही वादा कर रहे हैं। जी-20 देश कह रहे हैं कि वे कोयले पर निर्भरता कम करेंगे।
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पर्यावरण शिखर सम्मेलन नाकाम हुआ तो बेकार हो जाएंगी अब तक की कोशिशें : जॉनसन