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पॉप्युलिस्ट ताकतों का उदय न्यायपालिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती: जस्टिस गोगोई

पॉप्युलिस्ट ताकतों का उदय न्यायपालिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती: जस्टिस गोगोई

 मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पॉप्युलिस्ट शक्तियों के उदय को भारतीय न्यायपालिका के लिए एक बड़ी चुनौती बताया है। उन्होंने कहा ऐसी ताकतों के उदय से न्यायपालिका के सामने अपना निष्पक्ष स्वरूप बचाए रखने की चुनौती पैदा हो गई है। मुख्य न्यायाधीश ने न्यायपालिका से पॉप्युलिस्ट ताकतों के खिलाफ खड़े होकर संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की अपील की। उन्होंने कहा जजों की नियुक्ति राजनीतिक दबाव और प्रभाव से भी मुक्त होनी चाहिए। शंघाई कॉर्पोरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) देशों के जजों को संबोधित करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने यह बात कही। जस्टिस गोगोई ने कहा, 'पॉप्युलिस्ट ताकतें इन दिनों प्रभावी होती जा रही हैं। जजों को गैर-निर्वाचित ऐसे प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया जा रहा है जो बहुमत से चुनी ताकतों के फैसले को पलट देते हैं। 
वर्तमान दौर को, न्यायपालिका के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण समय मानते हुए चीफ जस्टिस ने कहा इस समय पूरी दुनिया में ऐसी स्थिति बनती जा रही है जिसकी वजह से न्यायपालिका बहुत दबाव में है। उन्होंने कहा कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि न्यायपालिका भी कई बार पॉप्युलिस्ट ताकतों के दबाव में आ जाती है। न्यापालिका को भविष्य की चुनौती के लिए तैयार होने का संदेश देते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा इस क्षेत्र में न्यायपालिका को भविष्य में मिलनेवाली चुनौतियों के लिए खुद को तैयार करना होगा। न्यायिक संस्थाओं की स्वायत्ता को बचाने के लिए पॉप्युलिस्ट ताकतों के दबाव से खुद को मुक्त रखना होगा।
मुख्य न्यायाधीश ने अपने व्याख्यान को मुख्य तौर पर वैश्विक संदर्भों में ही रखा, लेकिन उन्होंने सांकेतिक तौर पर देश की एनडीए सरकार पर भी निशाना साधा। जस्टिस गोगोई ने कहा जजों की नियुक्ति पूरी तरह से निष्पक्ष और राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होनी चाहिए। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार जजों की नियुक्ति में विधायिका की भूमिका की बात पहले भी कर चुकी है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कुछ दिन पहले कहा था कि कानून मंत्रालय जजों की नियुक्ति में सिर्फ पोस्ट ऑफिस की भूमिका में नहीं रह सकता। जजों की नियुक्ति में राजनीतिक प्रभाव नहीं होने पर जोर देते हुए मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा न्यायपालिका की साख को बनाए रखने के लिए जजों की नियुक्ति राजनीतिक प्रभाव से मुक्त होनी चाहिए। जजों का कार्यकाल सुरक्षित होना चाहिए और उन्हें हटाने की प्रक्रिया बेहद सख्त और मुश्किल। जजों की सुरक्षा और उनके अधिकार सुरक्षित करने जैसे कुछ उपाय हैं, जिनकी जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। 

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