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 पेरिस समझौते का पालन करने वाला भारत अकेला देश, क्लाइमेट चेंज रोकने को तय किया 'लक्ष्य-2070' : मोदी

 पेरिस समझौते का पालन करने वाला भारत अकेला देश, क्लाइमेट चेंज रोकने को तय किया 'लक्ष्य-2070' : मोदी

ग्लासगो । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में आयोजित जलवायु परिवर्न पर आयोजित शिखर सम्मेलन (कोप-26) को संबोधित करते हुए कहा कि भारत दुनिया का एकमात्र देश है, जो पेरिस समझौते के तहत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए 'अक्षरश: कार्य कर रहा है। 
ब्रिटेन के ग्लासगो में संयुक्त राष्ट्र सीओपी-26 के राष्ट्राध्यक्ष और शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए पीएम मोदी ने कहा भारत जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। उन्होंने जीवनशैली में बदलाव का आह्वान करते हुए कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशील जीवनशैली जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपाय हो सकता है। 
प्रधानमंत्री ने आह्वान किया कि 'पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली' को वैश्विक मिशन बनाया जाए। मोदी ने दोहराया कि विकसित देशों को जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर देने के अपने वादे को पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसकी निगरानी उसी तरह की जानी चाहिए जैसा जलवायु शमन की होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत उम्मीद करता है कि विकसित देश यथाशीघ्र जलवायु वित्तपोषण के लिए एक खरब डॉलर उपलब्ध कराएंगे। जैसा हम जलवायु शमन की निगरानी करते हैं, हमें जलवायु वित्तपोषण की भी उसी तरह निगरानी करनी चाहिए। वास्तव में न्याय तभी मिलेगा, जब उन देशों पर दबाव बनाया जाएगा जो जलवायु वित्तपोषण के अपने वादों को पूरा नहीं कर रहे हैं। 
प्रधानमंत्री ने कहा भारत वर्ष 2070 तक शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने को लेकर प्रतिबद्ध है, हमने वर्ष 2030 तक जीवाश्म ईंधन के उपयोग में उल्लेखनीय कमी लाने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही नवीनीकरण ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाना हमारे भविष्य के लक्ष्यों में शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक अनुमानित उत्सर्जन में से एक अरब टन कार्बन उत्सर्जन कम करेगा, भारत कार्बन की गहनता में 45 प्रतिशत तक कटौती करेगा। प्रधानमंत्री ने कहा दुनिया की आबादी में भारत की 17 प्रतिशत हिस्सेदारी है लेकिन कार्बन उत्सर्जन में योगदान महज पांच प्रतिशत है। 
 

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