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सेहत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा ध्वनि प्रदूषण 

सेहत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा ध्वनि प्रदूषण 

ध्वनि प्रदूषण सेहत के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है। ध्वनि प्रदूषण से सुनने की शक्ति कम होने के साथ ही कई और नुकसान भी होते हैं। वाहनों के शोर के साथ ही लाउडस्पीकरों,कल-कारखानों एवं मशीनों से आने वाली तेज आवाजें हमें मानसिक रुप से बीमार कर रही हैं। दिवाली आ रही है और ऐसे में बम और पटाखों का तेज शोर भी बेहद नुकसानदेह होता है। तेज आवाज वाले पटाखे ध्वनि प्रदूषण को कई गुना बढ़ा देते हैं। 
मनुष्य की श्रवण क्षमता 80 डेसिबल होती है इससे ज्यादा की आवाज मनुष्य बर्दास्त नहीं कर सकताहै। 0 से 25 डेसिबल पर शांति तक की आवाज से शान्ति का वातावरण रहता है। यदि आवाज की तीव्रता 80 डेसिबल से अधिक होने पर मनुष्य बीमार होने लगता है और उसे तकलीफ महसूस होने लगती है। वहीं जब आवजा की तीव्रता 130-140डेसिबल हो जाती है तो व्यक्ति को बेचैनीहोने लगती है। लगातार इस तीव्रकी आवाज के बीच रहने पर व्यक्ति बहरा भी हो सकता है।
ध्वनि प्रदूषण के प्रभाव
ध्वनि प्रदूषण हमें कई प्रकार से प्रभावित करते है अधिक शोर के कारण सिरदर्द, थकान,अनिद्रा,श्रवण क्षमतामें कमजोरी, चिड़चिड़ापन, उत्तेजना,आक्रोश आदि बीमारियां हो सकती है।
ध्वनि प्रदूषण के कारण मेटाबॉलिक(उपापचयी)प्रक्रियाएं प्रभावी होतीहैं।
एड्रीनलहार्मोन का स्राव भी बढ़ जाताहै जिससे धमनियों में कोलेस्ट्रोल का जमाव होने लगता है। इससे जनन क्षमता कम हो जाती है।
अत्यधिक तेज ध्वनि से मकानों की दीवारों में दरार आने की संभावना भी बढ़ जातीहै।
ध्वनिप्रदूषण के उपाय
ध्वनी प्रदूषण की ओर लोगों का कम ही ध्यान जाता है लेकिन ध्वनीप्रदूषण हमें कई तरह से नुकसान करता है। हम कुछ बातों का ध्यानरख के काफी हद तक ध्वनि प्रदूषण से होने वाले नुकसानों से बच सकते हैं।
लोगों मे ध्वनि प्रदूषण से होने वालेरोगों से परिचित करा उन्हेंजागरूक बनाना चाहिए।
कमशोर करने वाले मशीनों-उपकरणोंका निर्माण एवं उपयोग किए जानेपर बल देना चाहिए।
अधिक ध्वनि उत्पन्न करने वाले मशीनों को ध्वनिरोधी कमरों में लगाना चाहिए तथा कर्मचारियों को ध्वनि  अवशोषक तत्वों एवं कर्ण बंदकों का उपयोग करना चाहिए।
उद्योगों एवं कारखानों को शहरों या आबादी से दूर स्थापित करनाचाहिए।
वाहनोंमें लगे हार्नों को तेज बजाने से रोका जाना चाहिए।
शहरों,औद्योगिक इकाइयों एवं सड़कों के किनारे वृक्षारोपण करना चाहिए। ये पौधे भी ध्वनि शोषक का कार्य कर ध्वनि प्रदूषण को कम करतेहैं।
मशीनों का रख-रखाव सही ढंग से करना चाहिए।
 

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