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सर्दियों में फिर गहरा सकता है कोयला संकट

सर्दियों में फिर गहरा सकता है कोयला संकट

नई दिल्ली । एशिया की दो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं भारत और चीन में ऊर्जा संकट गहरा गया था। पिछले महीने कोयले की कमी की वजह से देश के कई पावर प्लांट ठप होने की कगार पर आ गए थे। हालांकि, बीच में सरकार ने तेजी दिखाई और कोयले के उत्पादन को बढ़ाया, जिसकी वजह से स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन सर्दी के मौसम में एक बार फिर कोयला को लेकर चुनौतियां पैदा हो सकती है। चीन के कुछ प्रांत अभी ईंधन की आपूर्ति की वजह से बिजली कटौती का सामना कर रहे हैं। अक्टूबर के मध्य में लगभग 20 क्षेत्रों में बिजली की कमी की बात सामने आई थी। वहीं, भारत में बिजली की कीमतों में गिरावट आई है। आईएचएस मार्किट में वैश्विक शक्ति और नवीकरणीय ऊर्जा के वाशिंगटन स्थित प्रबंध निदेशक ज़िझोउ झोउ ने कहा दोनों ही देशों को सर्दियों में कोयले की आपूर्ति के लिए कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसमें कमी आ रही है। वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमत में वृद्धि की वजह से चीन शेनहुआ ​​एनर्जी कंपनी सहित कई कंपनियों की स्थिति हाल के हफ्तों में चरमरा गई है। ऑस्ट्रेलिया में न्यूकैसल बंदरगाह पर उच्च गुणवत्ता वाला थर्मल कोयला, जिसकी एशिया में एक बेंचमार्क है और ईंधन क्षेत्र के लिए सबसे बड़ा बाजार है, फिलहाल मुश्किलों का सामना कर रहा है। अक्टूबर के मध्य से कोयले के दामों में नाटकीय वृद्धि के बाद से चीन में थर्मल कोयला के बाजार में 50 फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। चीन और भारत दोनों ने राज्य समर्थित खनिकों को कोयला उत्पादन में तेजी लाने के लिए प्रेरित किया। बीजिंग में अधिकारियों ने भी ईंधन की कीमतों को सीमित करने, बिजली के लिए कुछ निश्चित दरों को खत्म करने, ईंधन के निर्यात पर अंकुश लगाने और विदेशों से गैस और डीजल की खरीद बढ़ाने जैसे कदम उठाए हैं। चीन ने टॉप ऊर्जा फर्मों को हर कीमत पर आपूर्ति सुरक्षित करने का आदेश दिया है। चीन का दैनिक कोयला उत्पादन हाल के हफ्तों में एक मिलिटन टन से बढ़कर 11.67 मिलियन टन हो गया है और संभवत: 12 मिलिटन टन प्रतिदिन के उप्तादन के सरकारी लक्ष्य को पार कर जाएगा।
 

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