YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

आर्टिकल

(चिंतन-मनन) निष्ठावान बने रहें 

(चिंतन-मनन) निष्ठावान बने रहें 

एक किसान शहर में आया। गहनों की दुकान पर गया। गहने खरीदे, सोने के गहने, चमकदार। दुकानदार ने मूल्य मांगा। किसान ने कहा, मेरे पास मूल्य नहीं है, रूपए नहीं हैं। घी का भरा हुआ घड़ा है। आप इसे ले लें और गहने मुझे दें। सौदा तय हो गया। दुकानदार भी प्रसन्न और किसान भी प्रसन्न। किसान घर गया। अपने गांव के सुनार को गहने दिखाए। उसने परीक्षण कर कहा, तुम ठगे गए। नीचे पीतल है और ऊपर स्वर्ण का झोल। किसान ने सोचा, मैंने सेठ को ठगा, तो सेठ ने मुझे ठग लिया। सेठ घर गया। घी को दूसरे बर्तन में डालना चाहा। ऊपर घी था, नीचे कंकड़-पत्थर। माथे पर हाथ रख सोचा, ठगा गया। मैंने किसान को ठगा और किसान ने मुझे ठग लिया।  
किसान सोचता है, मैंने सेठ को ठग लिया। सेठ सोचता है, मैंने किसान को ठग लिया। कोई नहीं ठगा गया। सौदा बराबर हो गया। जब पूरा समाज अनैतिक होता है, तो कौन किसको ठगेगा? कौन ठगा जाएगा? सभी सोचते हैं, मैंने उसको ठग लिया, पर ठगे सभी जाते हैं। बेईमानी जब व्यापक होती है, तब सब ठगे जाते हैं। अकेला कोई नहीं ठगा जाता। समाज में ईमानदार लोग भी हैं। इस ईमानदारी के कंधे पर चढ़कर बेईमानी चल रही है। सत्य के आधार पर असत्य और अहिंसा के आधार पर हिंसा चल रही है। सारे हिंसक बन जाएं, तो हिंसा अघिक नहीं चल सकती।  
हम गहराई से चिन्तन करें कि सामाजिक स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त आवश्यक है निष्ठा, पराविद्या की निष्ठा। भौतिकता और आध्यात्मिकता का सन्तुलन बना रहे। हम परम को भी देखें, अपरम को भी देखें। सत्यनिष्ठा रचनात्मक दृष्टिकोण की उपलब्घि ही तो है।  
 

Related Posts