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मानसून की धीमी चाल पीएम मोदी के वादों पर डाल सकती है प्रतिकूल असर

मानसून की धीमी चाल पीएम मोदी के वादों पर डाल सकती है प्रतिकूल असर

 मानसून की धीमी चाल के चलते पीएम मोदी के किसानों के किए वादे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आय को दोगुनी करने और अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का वादा किया है। लेकिन मानसून की धीमी चाल पीएम मोदी के इन वादों पर पानी फेर सकता है। मानसून ने केरल में एक सप्ताह की देरी से दस्तक दिया है और यह सामान्य से धीमी गति से आगे बढ़ रहा है। जून में अब तक मानसून की बारिश औसत से 44 फीसदी कम हुई है, जिसके कारण खरीफ फसलों की बुवाई में देरी हो रही है। बारिश में इस कमी का उपभोक्ता मांग, समस्त अर्थव्यवस्था और फाइनेंशियल मार्केट पर व्यापक असर पड़ सकता है। इस साल केरल में मॉनसून एक जून के बजाय 8 जून को पहुंचा है।  अरब सागर में चक्रवाती तूफान 'वायु' के उत्पन्न होने और मॉनसून से नमी को खींच लेने की वजह से इसकी प्रगति में बाधा पैदा हुई है। मानसून जून मध्य तक आधे भारत को कवर कर लेता है, लेकिन इस साल यह देश के एक चौथाई हिस्से को ही कवर कर सका है। माना जा रहा है कि उत्तर भारत तक यह अपने सामान्य समय से 15 दिन बाद पहुंचेगा। 
भारतीय अर्थव्यवस्था में मॉनसून की बड़ी भूमिका है। शेयर बाजार से लेकर उद्योग जगत पर मानसून के पूर्वानुमान का बड़ा असर पड़ता है। मानसून बढ़िया रहता तो शेयर बाजार और उद्योग जगत में उत्साह का माहौल होता है, जबकि मानसून की बारिश कम रहने की संभावना होती है तो अर्थव्यवस्था के सुस्ती की तरफ बढ़ने की संभावना बढ़ जाती है। देश के होने वाली कुल बारिश का 70 फीसदी ​हिस्सा मानसून का होता है। वहीं सोयाबीन, कपास, दलहन, चावल जैसी फसलों की बुआई मानसून की बारिश पर निर्भर होता है। बता दें कि देश की इकोनॉमी में खेती का योगदान 15 फीसदी है, वहीं देश के करीब 130 करोड़ लोगों को इस क्षेत्र से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट तरीके से रोजगार मिलता है।  मानसून का सीधा संबंध अर्थव्यवस्था से है। किसानों से लेकर सरकार के बजट पर मानसून का असर दिखाता है। यदि मानसून कमजोर रहता है तो खाद्य (अनाज, फल-सब्जी) उत्पादन कम होगा।  इससे किसानों की दशा और खराब होगी। महंगाई भी बढ़ेगी। इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा। इससे मोदी सरकार के किसानों की आय दोगुनी करने वादे को झटका लग सकता है। किसानों की आमदनी घटने का असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। मानसून का सीधा असर ग्रामीण आबादी पर पड़ता है। मानसून सामान्य और अच्छा रहने से ग्रामीण इलाकों में लोगों की आय बढ़ती है, जिससे मांग में भी तेजी आती है। ग्रामीण इलाकों में आय बढ़ने से इंडस्ट्री को भी फायदा मिलता है। वहीं कमजोर होने पर इसका उलटा असर होता है। इस साल बारिश कम होने से देश का ग्रोथ प्रभावित हो सकता है।  

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