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किसान आंदोलन में नया मोड़ दिल्ली जाने पर अड़ा चढ़ूनी गुट

किसान आंदोलन में नया मोड़ दिल्ली जाने पर अड़ा चढ़ूनी गुट

नई दिल्ली । तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में यूपी, पंजाब और हरियाणा के किसानों का धरना प्रदर्शन जारी तो है, लेकिन इसमें फूट की खबरें तकरीबन हर सप्ताह सुनने को मिल जाती हैं। इस कड़ी में अब गुरनाम सिंह चढ़ूनी को लेकर किसान संगठनों में फूट की खबर है, जल्द ही यह फूट सामने भी आ सकती है। दरअसल, तीनों केंद्रीय कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली के विभिन्न बार्डरों पर चल रहे यूपी, पंजाब और हरियाणा के किसानों के प्रदर्शन को 26 नवंबर को एक साल पूरे हो जाएंगे। इस बीच किसानों के प्रदर्शन के मामले में नया मोड़ आ गया है। एक ओर जहां गुरनाम सिंह चढ़ूनी गुट दिल्ली में दाखिल होने पर अड़ा है, वहीं पंजाब के जत्थेदारों ने इससे साफ इनकार कर दिया है। इस दोनों गुटों के मतभेद भी सामने आ गए हैं। यह अंतर्विरोध जल्द शांत नहीं हुआ तो किसान आंदोलन में नई फूट सामने आ सकती है। दरअसल, एक साल होने पर धरना-प्रदर्शन की आगामी रूपरेखा तैयार करने को लेकर मंगलवार को कुंडली बार्डर पर आयोजित संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक काफी हंगामेदार रही। बैठक में भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने 26 नवंबर को दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा। इस पर काफी बहस हुई और अंत में पंजाब के जत्थेबंदियों ने इसे खारिज कर दिया। इस पर नाराजगी जताते हुए गुरनाम सिंह चढ़ूनी बैठक से चले गए। इसके बाद गुरनाम सिंह चढ़ूनी समर्थकों ने बाहर से खूब हूटिंग की और एक साल पूरे होने पर दिल्ली कूच को लेकर नारेबाजी करते रहे। बैठक में राकेश टिकैत, गुरनाम चढ़ूनी के अलावा सभी जत्थेबंदियों के प्रमुखों ने हिस्सा लिया। बैठक के दौरान मोर्चा कार्यालय के बाहर गुरनाम चढ़ूनी समर्थकों ने जोरदार हूटिंग की। वे 26 नवंबर-दिल्ली कूच की नारेबाजी कर रहे थे। दूसरी ओर, विभिन्न जत्थेबंदियों की ओर से प्रदर्शन को तेज करने के लिए प्रस्ताव रखने के साथ ही बैठक में भी हंगामा शुरू हो गया। गुरना सिंह चढ़ूनी ने दिल्ली कूच का प्रस्ताव रखा तो हरियाणा व कई अन्य किसान जत्थेबंदियों के नेताओं ने एक साल पूरे होने पर बड़े फैसले लेने की सलाह देते हुए अपने प्रस्ताव रखे। इस पर बैठक में हंगामा हुआ और गुरनाम सिंह चढ़ूनी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। इसके बाद गुरनाम सिंह चढ़ूनी बगैर कुछ बोले बैठक से चले गए।
 

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