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विपक्ष पर फूटा कोवैक्सीन निर्माता का गुस्सा गलत प्रचार के चलते ही देरी से मिली डब्ल्यूएचओ की मंजूरी

विपक्ष पर फूटा कोवैक्सीन निर्माता का गुस्सा गलत प्रचार के चलते ही देरी से मिली डब्ल्यूएचओ की मंजूरी

नई दिल्ली । भारत के स्वदेशी कोरोना टीके कोवैक्सीन को महीनों बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन से मंजूरी मिल पाई है। इस देरी के लिए टीके को बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक के सीएमडी कृष्णा इल्ला ने विपक्ष की राजनीति पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष की ओर से इस टीके पर सवाल खड़े किए गए और इसे बीजेपी वैक्सीन तक बताया गया। इसके चलते दुनिया भर में इस टीके को लेकर गलत धारणा बनी और अंत में इसका नतीजा डब्ल्यूएचओ की ओर से वैक्सीन को मंजूरी में देरी के तौर पर देखने को मिला। कृष्णा इल्ला ने कहा कि देश में वैक्सीन को लेकर निगेटिव कैंपेनिंग हुई थी और इसका असर देखने को मिला है। कृष्णा इल्ला ने कहा कि यह कैंपेन तब भी नहीं रुका, जब पीएम नरेंद्र मोदी ने कोवैक्सीन की डोज ली। इसके बाद इस टीके को 'बीजेपी वैक्सीन' के तौर पर कुछ लोग प्रचारित करने लगे। इसकी बजाय हमें आत्मनिर्भर भारत के मंत्र के तहत भारतीय विज्ञान की सराहना करनी चाहिए थी। बता दें कि कोवैक्सीन को लेकर शुरुआती दौर में अलग-अलग तरह का प्रचार देखने को मिला था। यही नहीं इसके चलते टीका लगवाने वाले लोगों में हिचक की स्थिति थी और लोगों को जागरूक करने के मकसद से ही पीएम नरेंद्र मोदी ने यह टीका लगवाया था। इसके साथ ही कृष्णा इल्ला ने कोवैक्सीन की बूस्टर डोज तैयार करने की भी बात कही है। उन्होंने कहा कि बूस्टर डोज दोनों टीके लगने के 6 महीने बाद दिए जाएं तो सही रहेगा। भारत बायोटेक के मुखिया ने कहा कि इस बारे में सरकार का कहना है कि पहले हमारी प्राथमिकता पहले सभी को वैक्सीन की दूसरी डोज देना है। इसके बाद ही इस पर काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कई पश्चिमी देशों ने बूस्टर डोज देना शुरू भी कर दिया है। इल्ला ने कहा कि कोवैक्सीन की बूस्टर डोज नाक से दी जाने वाली वैक्सीन होगी।
 

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