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यूपी में किसान आंदोलन से हुए डैमेज कंट्रोल को साधने में जुटे सीएम योगी  पश्चिम यूपी में डेरा जमाकर बैठे 

यूपी में किसान आंदोलन से हुए डैमेज कंट्रोल को साधने में जुटे सीएम योगी  पश्चिम यूपी में डेरा जमाकर बैठे 

लखनऊ । पश्चिमी उत्तरप्रदेश में किसान आंदोलन के द्वारा बीजेपी के खिलाफ सियासी माहौल बनाने में विपक्ष कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता हैं।वहीं सीएम योगी डैमेज कंट्रोल करने के लिए खुद मोर्चा संभाल लिया है।योगी लगातार पश्चिम यूपी में डेरा जमाकर गुरुवार को मेरठ के खिलाड़ियों को सम्मानित कर युवाओं को साधने में जुटे है। वहीं, किसान आंदोलन से मजबूती हुई आरएलडी के साथ हाथ मिलाने के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव मुजफ्फरनगर में कश्यप सम्मेलन के जरिए सियासी समीकरण दुरुस्त करने की कवायद करने वाले हैं। 
किसान आंदोलन से पश्चिम यूपी में बीजेपी के लिए चुनौती खड़ी हो गई है।किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत ने 2022 के चुनाव में बीजेपी को वोट से चोट देने का खुला एलान कर चुके हैं।इसके बाद पश्चिम यूपी में किसान आंदोलन के बेसर करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ खुद मोर्चा संभाल लिया है।योगी पिछले चार दिनों से पश्चिम यूपी के जिलों में दौरे करके बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाने और चुनावी एजेंडा सेट करने में जुट गए हैं। 
रामपुर, कैराना, बदाऊं, और मथुरा दौरे के बाद सीएम योगी गुरुवार को मेरठ के कृषि विश्वविद्यालय में टोक्यो पैरालंपिक में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों को सम्मानित करने वाले हैं। योगी सरकार यह कार्यक्रम प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी आयोजित कर सकती थी, लेकिन विधानसभा चुनाव को देखकर मेरठ में रखा गया है, ताकि पश्चिम यूपी को बड़ा सियासी संदेश दिया जा सके। 
पश्चिम यूपी का इलाका स्पोर्ट्स खिलाड़ियों का बड़ा हब माना जाता है।यहां के खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान स्थापित की है।यूपी से पैरालंपिक में 80 फीसदी खिलाड़ी मेरठ मंडल क्षेत्र के हैं।इसके बाद इन सभी खिलाड़ियों की प्रतिभा को देखकर मेरठ में सम्मान कार्यक्रम रखा गया है।इससे एक तरफ युवाओं को संदेश देने का प्लान है,वहीं दूसरी तरफ कृषि कानून के खिलाफ किसानों की नाराजगी को कम करने का भी दांव है।सीएम योगी ने कैराना से पलायन करने वाले परिवारों से मुलाकात कर साफ संकेत दे दिया है कि यूपी में हालत अब पहले जैसे नहीं रहे। सीएम योगी पश्चिम यूपी में गुर्जर और जाट समुदाय को भी साधने में जुटे हैं।
किसान आंदोलन से पश्चिमी यूपी में आरएलडी को नई संजीवनी मिली है, जिसके चलते अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी से हाथ मिलाया है।इस तरह से सपा और आरएलडी किसान आंदोलन के सहारे सियासी चक्रव्यूह की रचना कर बीजेपी को घेरने की कोशिश में लगे हैं।अखिलेश यादव पश्चिमी यूपी में मजबूत जनाधार वाले नेताओं को सपा में एंट्री कर रहे हैं।जाट और मुस्लिम के साथ-साथ कश्यप समुदाय को भी जोड़ने का दांव सपा चल रही है ताकि पश्चिम यूपी में बीजेपी के खिलाफ मजबूत सियासी आधार खड़ा कर सकें।
 

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