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अगले माह होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे पूर्व तानाशाह गद्दाफी के पुत्र सैफ, किया नामांकन

अगले माह होने वाला राष्ट्रपति चुनाव लड़ेंगे पूर्व तानाशाह गद्दाफी के पुत्र सैफ, किया नामांकन

त्रिपोली। अफ्रीकी देश लीबिया में तानाशाह मुअम्मर अल-गद्दाफी का बेटा पहली बार सार्वजनिक तौर पर दिखाई दिया है। गद्दाफी की मौत के बाद उनके पुत्र सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी अंडरग्राउंड हो गए थे। इस बीच अचानक वह लोगों के सामने आए और उन्होंने लीबिया में अगले माह होने वाले राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की घोषणा की। उन्होंने राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया है। 
49 वर्षीय सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी पारंपरिक भूरे रंग का चोला और पगड़ी पहने दिखाई दिए। लीबियाई चुनाव आयोग के एक वीडियो में गद्दाफी का बेटा अधपकी दाढ़ी और चश्मा लगाए उम्मीदवारी के पर्चे पर हस्ताक्षर करते नजर आए। लीबिया में गद्दाफी की मौत के बाद से ही अराजकता फैली हुई है। अमेरिका समर्थित लीबियाई सरकार पर देश में महंगाई, भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर आरोप लग चुके हैं।
सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी को लीबिया के राष्ट्रपति चुनाव में सबसे प्रबल उम्मीदवार बताया जा रहा है। चुनाव लड़ने वाले दूसरे उम्मीदवारों में पूर्व सैन्य कमांडर खलीफा हफ्तार, प्रधान मंत्री अब्दुलहमीद अल-दबीबा और संसद अध्यक्ष अगुइला सालेह भी शामिल हैं। लीबिया में सैफ अल-इस्लाम अल-गद्दाफी को बड़ा रूतबा हासिल है। उसने 2011 में नाटो समर्थित सेना के हमले से पहले लीबिया में नियम-कानून बनाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। लीबिया में राष्ट्रपति चुनाव के लिए 24 दिसंबर को वोट डाले जाएंगे। इसे लेकर अभी से देशभर में तैयारियां की जा रही हैं। हालांकि, कई स्थानीय और विदेशी संस्थाओं ने लीबिया में निष्पक्ष चुनाव होने पर संदेह जताया है। लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ा हुआ सैफ अल इस्लाम धाराप्रवाह अंग्रेजी बोलता है। ऐसे में उसे पश्चिमी देशों का बाद में समर्थन भी हासिल हो सकता है।
कर्नल गद्दाफी का पूरा नाम मुअम्मर अल गद्दाफी था। इनका जन्म 7 जून 1942 को लीबिया के सिर्ते शहर में हुआ था। इनके जन्म के समय लीबिया इटली का उपनिवेश हुआ करता था। साल 1951 में लीबिया को पश्चिमी देशों के मित्र किंग इदरीस के नेतृत्व में स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी। युवा काल में गद्दाफी अरब राष्ट्रवाद से बहुत प्रभावित था। इसके अलावा यह मिस्र के नेता गमाल अब्देल नासिर का भी बड़ा प्रशंसक था। साल 1961 में गद्दाफी ने बेनगाजी के सैन्य कॉलेज में प्रवेश लिया। इसके अलावा उसने यूनाइटेड किंगडम में चार महीने सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया था।
 

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