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भारत पर दबाव बनाने के लिए उत्तरपूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा चीन  -मुकाबले की रणनीति बनाने के लिए देश के रक्षा विशेषज्ञ और बड़े अधिकारी विमर्श विमर्श में जुटे

भारत पर दबाव बनाने के लिए उत्तरपूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा चीन  -मुकाबले की रणनीति बनाने के लिए देश के रक्षा विशेषज्ञ और बड़े अधिकारी विमर्श विमर्श में जुटे

नई दिल्ली । क्या मणिपुर में आर्मी कर्नल, उनकी पत्नी और बच्चों के साथ-साथ चार जवानों की हत्या के पीछे चीन हाथ है? क्या चीन ने सीधी लड़ाई लड़ने की जगह पाकिस्तानी की स्टाइल में उग्रवादियों के सहारे भारत को अस्थिर करने की रणनीति अपना ली है? इन सवालों पर भारत के रक्षा विशेषज्ञ और बड़े अधिकारियों के बीच विमर्श हो रहा है, ताकि इससे मुकाबले की कारगर रणनीति बनाई जा सके। चीन की प्रॉपगैंडा मशीनरी ने अक्टूबर 2020 में ही चेतावनी दी थी कि भारत ने अगर ताइवान के साथ व्यापार समझौता किया तो उसे इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। चीनी ने विभिन्न माध्यमों से यह धमकी दिलाई कि ताइवान के साथ ट्रेड पैक्ट के नतीजे में भारत को अपने उत्तर-पूर्वी राज्यों में अलगाववादी आंदोलनों के उभार का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ ही चीन सिक्किम को भारत का हिस्सा मानना बंद कर देगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा इसका संदेह है कि चीन उत्तरपूर्व में उग्रवाद को बढ़ावा दे रहा है। मणिपुर समेत उत्तरपूर्व के तमाम राज्यों में उग्रवादी समूह का म्यांमार की अरकान आर्मी और यूनाइटेड वा स्टेट आर्मी जैसे सशस्त्र संगठनों के साथ संपर्क है और वहीं से चीनी हथियार उत्तरपूर्वी राज्यों में आ रहे हैं। चीन ने यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम के कमांडर परेश बरुआ और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (आईएम) के फुंतिंग शिमरंग समेत उग्रवादी संगठनों के कई नेताओं को पनाह दे रखी है। ये सभी म्यांमार सीमा के पार युन्नान प्रांत स्थित रुइली में रह रहे हैं। 
यह उसी रणनीति का अनुकरण हो सकता है जिसके तहत पाकिस्तान लंबे समय से कश्मीर में आतंकवाद को समर्थन देता रहा है। अगर यह सच है तो पश्चिमी सीमा से आतंकी चुनौतियों का सामना कर रहे भारत के लिए पूर्वी सीमा पर उग्रवाद के रूप में एक नया मोर्चा खुल गया है। 46 असम राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल विप्लव त्रिपाठी, उनकी पत्‍नी और बच्‍चे समेत 6 लोगों की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के तार चीनी सेना से जुड़े हुए हैं। 
लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) शौकीन चौहान ने कहा कि चीन ने एलएसी पर मुंह की खाने के बाद पीएलए मणिपुर और अन्य समान सोच वाले उग्रवादी समूहों को उकसाना शुरू किया हो, इसकी पूरी गुंजाइश है। चौहान ने 2017-18 में असम राइफल्स का नेतृत्व किया था। उन्होंने कहा चीन ने उत्तरपूर्व में उपद्रव मचाने और सुरक्षा बलों पर दबाव बनाने के लिए ऐसा किया होगा। मणिपुर में अचानक हुए हमले के पीछे चीन का हाथ होने की आशंका इसलिए भी है, कि आर्मी ने उत्तरपूर्व की सुरक्षा दुरुस्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है। इस कारण, वहां से सैनिकों की सुनियोजित और क्रमिक वापसी हो रही है। ऐसे में संभव है कि चीन ने वहां बड़ी घटना को अंजाम दिलाकर सैनिकों को वहां इंगेज रखने की साजिश रची हो।
यह अलग बात है कि चीन ने संभवतः पहले कभी भी उत्तरपूर्व में उग्रवादी कार्रवाइयों में अपनी भूमिका नहीं निभाई है लेकिन नॉर्दर्न आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हूडा का मानना है कि मई 2019 से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कायम रहने के बाद माहौल पूरी तरह बदल चुका है। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) कोनसम हिमालय सिंह को भी लगता है कि एलएसी पर मौजूदा हालात के मद्देनजर पूरी संभावना है कि चीन उत्तरपूर्व में अलग तरीके का युद्ध छेड़ दे ताकि भारत दबाव में आकर उसकी शर्तों के सामने झुक जाए। उन्होंने कहा उत्तरपूर्व के उग्रवादी समूहों के पास चीन में बने हथियार हैं और कुछ स्वघोषित कमांडर तो चीन में ही रह रहे हैं। लेकिन, चीन इन संगठनों को किस हद तक समर्थन दे रहा है, इसका सटीक आकलन नहीं किया जा सका है।
 

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