नई दिल्ली । दिल्ली-एनसीआर में हवा जहरीली होती जा रही है और वायु प्रदूषण की वजह से लोगों की जीना मुहाल हो गया है। इस बीच दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र सरकार को इमरजेंसी मीटिंग बुलाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए निर्माण, गैर-जरूरी परिवहन, बिजली संयंत्रों को रोकने और घर से काम लागू करने जैसे मुद्दों पर कल एक इमरजेंसी बैठक बुलाने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 17 नवंबर तक के लिए स्थगित क दिया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और एनसीआर क्षेत्र से जुड़े राज्य सरकारों को अपने कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम पर विचार करने को कहा। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा कल होने वाली इमरजेंसी बैठक में पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को भी उपस्थित रहने को कहा है। दिल्ली में प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण से निपटने के लिए आप क्या बड़े कदम उठाने का प्रस्ताव रखते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि वायु प्रदूषण में पराली जलाए जाने का योगदान मात्र चार प्रतिशत है, ऐसे में इसे लेकर हल्ला मचाने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं राज्यों से इस बारे में फैसला लेने को कहा कि कुछ किन उद्योगों, वाहनों और संयंत्रों का संचालन कुछ समय के लिए रोका जा सकता है। कोर्ट ने निगमों को जिम्मेदार ठहराने पर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई और कहा कि झूठे बहाने उसे प्रचार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले नारों पर खर्च और कमाई की लेखा परीक्षा कराने पर मजबूत करेंगे। प्रतिवादियों (सरकार) द्वारा दायर हलफनामा और सुनवाई के बाद हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि प्रदूषण के मुख्य कारक निर्माण गतिविधि, इंडस्ट्री, ट्रांसपोर्ट, बिजली और वाहनों के यातायात हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा की राज्य सरकारों को दो सप्ताह तक पराली न जलाने के लिए किसानों को मनाने को भी कहा। पीठ ने कहा कि हम भारत सरकार, एनसीआर से जुड़े राज्यों को कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रॉम होम शुरू करने की प्रक्रिया की जांच करने का निर्देश देते हैं।
रीजनल नार्थ
प्रदूषण से निपटने को सुप्रीम कोर्ट ने दिया वर्क फ्रॉम होम का सुझाव