पटना । बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने, वर्ष 1947 में देश को मिली आजादी को 'भीख' बताने संबंधी बॉलीवुड एक्टर कंगना रनौत के बयान पर कहा, 'इसे कोई कैसे प्रकाशित कर सकते हैं? इसके मायने क्या हैं क्या इसे नोटिस भी किया जाना चाहिए, क्या इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए? कौन नहीं जानता कि हमने आजादी कब हासिल की। ऐसे बयानों को जीरो इर्म्पोटेंस दी जानी चाहिए। यहां तक कि हमने इसका मजाक बनाना चाहिए।ये लोग प्रचार हासिल करने के लिए ऐसी बातें करते हैं। मैं ऐसे लोगों पर ध्यान नहीं देता। मेरा ध्यान इन चीजों पर नहीं रहता। ''
गौरतलब है कि कंगना ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि भारत को सही मायने में आजादी 2014 में मिली थी जब पीएम नरेंद्र मोदी सत्ता में आए। हमें जो आजादी 1947 में मिली थी, वह 'भीख' थी। 34 वर्षीय कंगना इससे पहले भी विवादित बयानों के लिए चर्चा में रही हैं। विवादित बयानों के लिए वे माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर पर प्रतिबंधित हैं। विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने कंगना के इस बयान को देश के स्वाधीनता संग्राम और स्वाधीनता सेनानियों का अपमान बताते हुए उन पर राजद्रोह का केस चलाने की मांग की है। बाद में कंगना ने अपने बयान को लेकर सफाई देते हुए कहा था 'जहां 2014 में आजादी मिलने से संबंध है मेरा यह कहना था कि भले ही भौतिक रूप से हमारे पास आजादी हो लेकिन भारत की चेतना और विवेक 2014 में 'आजाद' हुआ... भाजपा की उत्तरप्रदेश इकाई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने भी कहा कि वह फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के विवादास्पद बयान से सहमत नहीं हैं। वाजपेयी ने कहा कि कंगना के जिस बयान पर चर्चा हो रही है वह उससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। वाजपेयी ने शनिवार को कहा था, ‘‘मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि हजारों बलिदानों के बाद 1947 में देश को मिली आजादी पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करना ठीक नहीं है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि 2014 में नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में व्यापक सुधार हुए हैं और जनहित के काम हुए हैं लेकिन इससे स्वतंत्रता संग्राम में लोगों के बलिदान को नहीं भुलाया जा सकता है।''
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ऐसे बयानों को जीरो इर्म्पोटेंस दी जानी चाहिए - कंगना की बात पर बोले नीतीश