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कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ी 

कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं ने पार्टी छोड़ी 

जम्मू । कांग्रेस की जम्मू-कश्मीर इकाई के सात प्रमुख नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी  को अपना त्यागपत्र भेज दिया है। उन्होंने दावा किया है कि केंद्रशासित प्रदेश में उन्हें पार्टी से संबंधित मामलों को लेकर अपनी बात रखने का मौका नहीं दिया गया।  सूत्रों ने बुधवार को इस आशय की जानकारी दी।  सूत्रों का कहना है कि इस्तीफा देने वाले नेताओं में से, चार पूर्व मंत्री और तीन पूर्व विधायक हैं जो पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद के करीबी हैं। पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं में जी। एम। सरूरी, जुगल किशोर, विकार रसूल और डॉक्टर मनोहर लाल शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी से इस्तीफा देने वाले पूर्व विधायकों में गुलाम नबी मोंगा, नरेश गुप्ता और अमीन भट शामिल है।  इन नेताओं ने अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और जम्मू-कश्मीर में पार्टी मामलों की प्रभारी रजनी पाटिल को भेजा है। त्यागपत्र में इन नेताओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व के ‘शत्रुतापूर्ण रवैये' के चलते यह कदम उठाना पड़ा। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर पर निशाना साधा है। 
सूत्रों ने यह भी बताया कि पूर्व उप मुख्यमंत्री तारा चंद समेत आजाद के करीब कुछ अन्य नेताओं ने इस्तीफा देने वाले नेताओं से दूरी बना ली है। इन नेताओं ने त्यागपत्र में कहा कि उन्होंने अपने मुद्दों की तरफ पार्टी आलाकमान का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया। 
इन नेताओं का कहना है कि वे पिछले करीब एक साल से ज्ञापन के माध्यम से पार्टी नेतृत्व से मिलने का समय मांग रहे थे, लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गय।  उन्होंने अगस्त 2021 में राहुल गांधी के जम्मू-कश्मीर दौरे पर व्यक्तिगत रूप से पार्टी आलाकमान से मिलने का अनुरोध किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मीर पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि मीर के अध्यक्ष रहते हुए पार्टी बहुत दयनीय स्थिति की तरफ बढ़ रही है और पार्टी के बहुत सारे नेता इस्तीफा देकर दूसरे दलों में शामिल हो गए, जबकि कुछ ने खामोश रहने का फैसला किया है। 
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस के कामकाज पर कुछ नेताओं ने कब्जा जमा रखा है। यह रेखांकित करते हुए कि जल्दी ही विधानसभा चुनावों की घोषणा की जा सकती है, उन्होंने कहा कि पार्टी आलाकमान उनकी उचित समस्याएं सुनने को भी तैयार नहीं है। 
 

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