हरिद्वार । सूर्य उपासना के महीने कार्तिक मास के अंतिम स्नान पर्व कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को हरिद्वार के हरकी पैड़ी और संगम नगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी और बलुआ घाट में आस्था की एक डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा हुआ है। दूर-दूर से आये हजारों श्रद्धालु कालिंदी की धारा में डुबकी लगाने के बाद सूर्य को अर्ध्य दे रहे हैं और भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना कर साल भर अपने परिवार के निरोग रहने की कामना कर रहे हैं। सूरज की पहली किरण निकलने से पहले ही हजारों श्रद्धालु इकट्ठे हो गए थे। कई घाटों पर तो तिल रखने की भी जगह नहीं बची। ग्रह नक्षत्रों के दुर्लभ संयोग की वजह से इस बार कार्तिक पूर्णिमा के स्नान का विशेष महत्व है। यहां आने वाले श्रद्धालु स्नान और पूजा-अर्चना के साथ ही दान-पुण्य भी कर रहे हैं। मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के ही दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म हुआ था, जबकि स्रष्टि के पालनहार भगवान विष्णु ने आज ही के दिन मत्स्यावतार रूप धारण किया था। इस कारण कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान और पूजा अर्चना करने वाले को अक्षय पुण्य और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति होती है। इसी वजह से संगम नगरी प्रयागराज में त्रिवेणी की धारा में स्नान करने वालों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। श्रद्धालु मोक्ष की कामना और बैकुंठ की प्राप्ति के साथ ही कोरोना की महामारी खत्म हो इसके लिए गंगा यमुना और सरस्वती से प्रार्थना कर रहे हैं। संगम समेत प्रयागराज के तमाम घाटों पर शुक्रवार शाम को देव दीपावली भी धूम- धाम से मनाई जाएगी। संगम में पांच लाख दिए जहां जलाए जाएंगे, वही यमुना के तट पर बलवा घाट पर भी 31 हजार दियों का दीपदान किया जाएगा।
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कार्तिक पूर्णिमा पर हरिद्वार और प्रयागराज में श्रद्धालुओं ने लगाई डुबकी