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चीन से बढ़े तनाव के बीच बीजिंग ओलंपिक के राजनयिक बॉयकॉट पर विचार कर रहा अमेरिका

चीन से बढ़े तनाव के बीच बीजिंग ओलंपिक के राजनयिक बॉयकॉट पर विचार कर रहा अमेरिका

  
वॉशिंगटन
। बीजिंग में अगले साल शीतकालीन ओलंपिक-2022 खेल होने हैं। ऐसे में अमेरिका चीन से बढ़ते तनाव के बीच बीजिंग ओलंपिक के राजनियक बहिष्कार पर विचार कर रहा है। एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि वह बीजिंग ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार पर विचार कर रहे हैं। इससे पहले यूरोपियन संसद में बीजिंग ओलंपिक के बहिष्कार का ऐलान किया जा चुका है। 
कई खिलाड़ी भी मुखर होकर इसके बहिष्कार को लेकर इसके खिलाफ आवाज उठा चुके हैं। उम्मीद है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जल्दी ही अपने देश के अधिकारियों को खेलों में नहीं भेजने की सिफारिश को मंजूरी दे सकते हैं। व्हाइट हाउस की तरफ से आमतौर पर ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाता है। अमेरिका में शीर्ष सांसदों द्वारा भी राजनयिक बहिष्कार का आह्वान किया गया है। एनबीए बास्केटबॉल खिलाड़ी और मुखर मानवाधिकार अधिवक्ता एनेस कनेटर ने भी इसके बहिष्कार का आह्वान किया है। 
उन्होंने ट्वीट किया इसे देखने वाले सभी स्वतंत्रता समर्थकों को मेरा संदेश है। हम एक साथ मजबूत हैं। हम सभी को ताइवान का समर्थन करना चाहिए, इवान का समर्थन करें, और लोकतंत्र की रक्षा करें। हमें ताइवान को स्वतंत्र और सुरक्षित रखना चाहिए। ताइवान, ताइवान के लोगों का है!
ताइवान को लेकर बढ़ते तनाव के बीच यूएस हाउस स्पीकर नैंसी पलोसी ने बीजिंग ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार की अपील की थी। इस मुद्दे पर यूरोपीय संसद के सांसदों ने सहमति जताते हुए कहा हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए। इसके साथ ही ईयू सांसदों ने अपनी सरकारों से मांग करते हुए उइगर मुसलमानों को लेकर चीन के व्यवहार पर और अधिक प्रतिबंध लगाने की बात भी कही। 
यह रिपोर्ट ऐसे समय पर आई है, जब अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि वॉशिंगटन और उसके सहयोगी बीजिंग ओलंपिक के बारे में सक्रिय बातचीत कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इससे पहले छह ओलंपिक खेलों ने बहिष्कार और कम देशों की भागीदारी झेली है। 1956 (मेलबर्न), 1964 (टोक्यो), 1976 (मॉन्ट्रियल), 1980 (मॉस्को), 1984 (लॉस एंजिल्स) और 1988 (सियोल) में युद्ध, आक्रमण और रंगभेद जैसे कारणों से विभिन्न देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया था।
 

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