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 कृषि कानूनों को रद्द करना  62 करोड़ किसानों और किसान परिवारों के बलिदान और इच्छाशक्ति की जीत - सोनिया

 कृषि कानूनों को रद्द करना  62 करोड़ किसानों और किसान परिवारों के बलिदान और इच्छाशक्ति की जीत - सोनिया

नई दिल्ली । कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने  मोदी सरकार के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने के फैसले को 62 करोड़ किसानों और खेत मजदूरों (और) 700 से अधिक किसान परिवारों के बलिदान के संघर्ष और इच्छाशक्ति की जीत कहा। उन्होंने "किसान, मजदूर विरोधी साजिश और तानाशाह शासकों के अहंकार" की आलोचना करते हुए कहा, "कृषि विरोधी कानून हार गए हैं और अन्नदाता (किसान) विजयी हुआ है।" 
सोनिया गांधी ने किसानों के लिए एमएसपी प्रणाली के महत्व को भी रेखांकित किया और कहा कि  कुछ किसान नेताओं ने कहा है कि वे तीन कानूनों के निरस्त होने के बाद भी विरोध जारी रखेंगे।
श्रीमती गांधी घोषित किया, "आज सत्ता में बैठे लोगों द्वारा रचे गए किसान विरोधी, मजदूर विरोधी षडयंत्र और तानाशाह शासकों के अहंकार को भी पराजित किया गया है। आज, तीन कृषि विरोधी कानून हार गए हैं और अन्नदाता विजयी हुआ है।"
उन्होंने कहा,  "... भारत सरकार के अनुसार, किसान की औसत आय घटकर 27 रूपये प्रतिदिन हो गई है और औसत कर्ज का बोझ 74,000  रूपये है...सरकार को फिर से सोचने की जरूरत है कि किसानों को एमएसपी के माध्यम से उनकी फसल का उचित मूल्य कैसे मिल सकता है।"
श्रीमती गांधी ने कहा, "लोकतंत्र में कोई भी निर्णय सभी के साथ चर्चा कर, प्रभावित लोगों की सहमति और विपक्ष के परामर्श के बाद ही लिया जाना चाहिए। उम्मीद है कि मोदी सरकार ने भविष्य के लिए कम से कम कुछ सबक सीखा है।"
 

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