वाशिंगटन । यूक्रेन के निकट रूसी बलों की बढ़ती तैनाती के कारण अमेरिकी प्रशासन एक ऐसी पेचीदा स्थिति में फंस गया है,जहां से तय नहीं पा रहा है, कि अमेरिका रूस को रोकने के लिए किस प्रकार प्रतिक्रिया करे। रिपब्लिकन पार्टी के कुछ सांसद दबाव बना रहे हैं, कि अमेरिका यूक्रेन के लिए सैन्य सहयोग बढ़ाए। इससे यह खतरा पैदा होता है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन केवल शक्ति प्रदर्शन तक सीमित न रहकर पूर्ण संघर्ष की ओर कदम बढ़ा सकते हैं, जिससे यूक्रेन को और भी अधिक नुकसान होगा और यूरोप में ऊर्जा संकट पैदा होने की आशंका होगी। इसके विपरीत यदि अमेरिका कमजोर प्रतिक्रिया देता है,तब उसके भी अपने जोखिम हैं। इससे पुतिन को यूक्रेन के खिलाफ और आक्रामक कदम उठाने का साहस मिलेगा तथा वह उसके और अधिक क्षेत्र पर कब्जा करने की कोशिश कर सकता है।इसके बाद राष्ट्रपति जो बाइडन के लिए एक बड़ा राजनीतिक नुकसान होगा, जब उनकी लोकप्रियता में कमी आ रही है।
यदि अमेरिका को समझ आ जाए, कि पुतिन क्या हासिल करना चाहते हैं और बलों की तैनाती बढ़ाने का उनका मकसद क्या है,तब बाइडन प्रशासन के लिए सही संतुलन बैठाना सरल होगा। शीर्ष अधिकारी इस स्वीकार करते हैं कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है। रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा,हमें नहीं पता कि पुतिन क्या चाहते हैं।इससे पहले विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका को रूस की मंशा के बारे में नहीं पता लेकिन उसका अपने सैन्य हस्तक्षेप को सही ठहराने के लिए सीमा पर उकसावे को बढ़ावा देने का इतिहास रहा है। प्रतिनिधि सभा के सदस्य माइक क्विग्ले ने कहा कि पुतिन की मंशा की बेहतर समझ होना अहम है,ताकि ‘‘बड़े युद्ध शुरू करने वाली गलतियां करने से बचा जा सके’’।
गौरतलब है कि यूक्रेन ने शिकायत की थी कि रूस ने उसकी सीमा के नजदीक युद्धाभ्यास करने के बाद हजारों की संख्या में सैनिकों की तैनाती कायम रखी है, ताकि यूक्रेन पर दबाव बना सके। रूस ने 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया प्रायद्वीप को अपने देश में मिलकर पूर्वी यूक्रेन में उभरे अलगावादी उग्रवाद को समर्थन दिया था। इन विद्रोहियों और यूक्रेन के बीच जारी संषर्घ में करीब 14,000 लोगों की मौत हो चुकी है। यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया था कि करीब 90 हजार रूसी सैनिक, विद्रोहियों द्वारा नियंत्रित पूर्वी यूक्रेन से लगती सीमा के करीब तैनात हैं। सैन्य तैनाती की बढ़ोतरी एक और रूसी हमले की आशंका पैदा करती है। संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोलांस्की ने कहा था कि रूस तब तक यूक्रेन पर हमला नहीं करेगा, जब तक कि उसे ऐसा करने के लिए पड़ोसी या किसी और द्वारा उकसाया नहीं जाता। इसके साथ ही रूस ने यूक्रेन से कई खतरों और काला सागर में अमेरिकी युद्धपोतों की उकसावे वाली कार्रवाई का हवाला दिया था। नाटो (उत्तर अटलांटिक संधि संगठन) के महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा कि गठबंधन यूक्रेन की सीमा पर रूसी सेना की तैनाती ‘‘असामान्य रूप से’’ बढ़ते देख रहा है और मॉस्को ने अतीत में भी पड़ोसी देशों में हस्तक्षेप करने के लिए इसी प्रकार ताकत का इस्तेमाल किया है।
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यूक्रेन मामले रुस को लेकर बुरी तरह से फंसा अमेरिका, रिपब्लिकन सांसद बन रहे दबाव