नई दिल्ली । व्हाइट हाउस के इंडो-पैसिफिक कोऑर्डिनेटर कर्ट कैंपबेल ने बताया है कि जापान अगले साल क्वाड समिट की मेजबानी करने के लिए तैयार हो गया है। यह इस समूह की दूसरी व्यक्तिगत बैठक होगी। क्वाड आधिकारिक तौर पर क्वाड्रिलेटरल सिक्युरिटी डायलॉग्स (क्यूएसडी) है। भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसके सदस्य देश हैं।
इसका मकसद इन देशों के समुद्री सीमाओं के हितों का ध्यान रखना, जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी से लड़ना है। दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती ताकत से मुकाबला करना भी इसका अहम उद्देश्य है। वॉशिंगटन स्थित थिंक टैंक यूएस इंस्टीट्यूट ऑफ पीस के एक कार्यक्रम में बोलते हुए, कैंपबेल ने 2022 में जापान द्वारा आयोजित की जाने वाली क्वाड बैठक की जानकारी दी।
उन्होंने बैठक के अहम बिंदुओं के बारे में तो नहीं बताया लेकिन यह बात जरूर बताई कि अगली क्वाड मीटिंग जापान में होगी। इस खास कार्यक्रम में बोलते हुए कैंपबेल ने कहा कि भारत क्वाड का एक महत्वपूर्ण सदस्य है और वॉशिंगटन नई दिल्ली के साथ संबंध बनाने के लिए दृढ़ है। कैंपबेल ने कार्यक्रम में कहा, मैं भारत के साथ भविष्य को लेकर बहुत उत्साहित हूं। मुझे लगता है कि हम सभी मानते हैं कि भारत क्वाड के महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक है।
क्वाड की शुरुआत 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी से मानी जा सकती है। तब भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने मिलकर राहत और बचाव कार्य किए थे और रीजन में बड़े पैमाने पर राहत-सामग्री भेजी थीं। लेकिन इस ऑपरेशन के बाद ये ग्रुप खत्म कर दिया गया। लेकिन 2006 में तत्कालीन जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इस ग्रुप को दोबारा से शुरू करने का प्रस्ताव रखा।
उन्होंने कहा कि इस ग्रुप में समान सोच वाले देश जुड़ें और हिंद-प्रशांत महासागर की सुरक्षा में सहयोग दें। 2007 में शिंजो आबे ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं, ऑस्ट्रेलिया में केविड रड पीएम बन गए, जो क्वाड के आलोचक माने जाते थे। उन्होंने चीन के दबाव में क्वाड से अपने हाथ पीछे खींच लिए। 2008 तक ग्रुप खत्म हो गया। 2017 में जापान ने फिर से क्वाड के शुरू करने का प्रस्ताव रखा। मनीला में पहली वर्किंग लेवल मीटिंग रखी गई। 2020 में भारत-यूएस-जापान मालाबार नेवल एक्सरसाइज में ऑस्ट्रेलिया भी जुड़ गया।
क्वाड एक औपचारिक गठबंधन के बजाय सॉफ्ट ग्रुप है। इसके पास फैसला लेने का अधिकार नहीं है। जैसे फैसले नाटो देश या यूएन में लिए जाते हैं। यह ग्रुप समिट, मीटिंग, जानकारी साझा करने और सैन्य अभ्यास के जरिए काम करता है। इस गठबंधन का कोई जटिल ढांचा नहीं है। कोई भी देश इस ग्रुप को कभी भी छोड़ सकता है।
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जापान अगले साल करेगा क्वाड समिट की मेजबानी