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भारत 2022 तक चीन सीमा पर तैनात करेगा दो एस-400 मिसाइल सिस्टम, बराबर होगा चीन से शक्ति संतुलन

भारत 2022 तक चीन सीमा पर तैनात करेगा दो एस-400 मिसाइल सिस्टम, बराबर होगा चीन से शक्ति संतुलन

नई दिल्ली । भारत सन 2022 तक उत्तर और पूर्वी सीमा पर एस-400 मिसाइल सिस्टम के कम से कम दो सैन्य इकाइयां तैनात करेगा। आधुनिक मिसाइस सिस्टम स्थापित होने के बाद भारतीय सेना भी सीमा पर चीनी सेना की क्षमता की बराबरी कर पाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निकट संबंधों की वजह से भारत को दो एस-400 मिसाइल सिस्टम समय से पहले ही मिल गए हैं। पुतिन भी 6 दिसंबर को भारत आने वाले हैं। इस दौरान वे पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे।
मॉस्को में राजनयिकों के अनुसार, एस-400 सिस्टम के एडवांस एलिमेंट्स भारत को मिलने शुरू हो गए हैं। जबकि, गहराई तक काम करने में सक्षम रडार भी अगले माह डिलीवर होने जा रहे हैं। दरअसल, चीन की सेना ने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास इसी रूसी तकनीक से लैस मिसाइल सिस्टम को तैनात किया है। ऐसे में भारत सीमा पर अपनी सैन्य ताकत में संतुलन बना सकेगा। रिपोर्ट के अनुसार, दो एस-400 सिस्टम 2022 की शुरुआत तक संचालित हो सकेंगे। 
रूस में ट्रेनिंग लेने वाले भारतीय सेना के दो दल एस-400 सिस्टम के संचालन के लिए तैयार हैं। खास बात यह है कि यह दुश्मन के क्षेत्र में 400 किमी तक मार कर सकता है। भारतीय सरजमीं पर एस-400 सिस्टम के तैनात होने के साथ ही मोदी सरकार भी चीनी मिसाइल और वायुसेना को जवाब देने के लिए तैयार है। एक सिस्टम को उत्तर में तैनात किया जाएगा, जो लद्दाख में दो मोर्चों पर काम करेगा। क्योंकि गहराई तक काम करने वाले रडार भारत को लक्ष्य बनाकर दागी गई मिसाइल या हमले का जवाब देने के लिए तैयार रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि एलएसी पर भारत और चीन के बीच पिछले काफी समय से तनाव की स्थिति बनी हुई है। 15 जून 2020 को भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू ने साथियों के साथ मिलकर गलवान में चीनी सेना को जवाब दिया था। उस घटना के बाद से ही मोदी सरकार लद्दाख में एलएसी पर सेना की खामियों को दूर करने में लग गई थी। इस क्रम में पहले चिनूक हेलीकॉप्टर्स की मदद से टी-90 टैंक्स शामिल किए गए। दूसरा, शक्तिशाली राफेल सेना का हिस्सा बने। तीसरा और सबसे अहम कहे जाने वाले में भारतीय सेना की कार्रवाई का नंबर आता है, जब सेना ने 29-31 अगस्त को सैन्य ऑपरेशन को अंजाम देते हुए पैंगोंग त्सो के दक्षिणी किनारों की ऊंचाई पर पैर जमा लिए थे। 
भारतीय पक्ष ने कार्रवाई के जरिए चीन को जवाब दिया और नतीजतन दोनों पक्ष साल्टवॉटर लेक के दोनों किनारों से हटने के लिए तैयार हो गए। हालांकि चीन एस-400 सिस्टम के जरिए भारतीय वायुसेना पर भारी पड़ रहा था। चीन ने यह सिस्टम गारी गार गुंसा और निंगची एयर बेस पर तैनात किए हैं। अब जबकि भारत को जल्द ही एस-400 सिस्टम मिलने वाला है, एलएसी पर चीन की धमकी के खिलाफ संतुलन बनाने में मदद मिलेगी।
 

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