नई दिल्ली । यूपी सरकार राज्य के 58189 ग्राम प्रधानों के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार बढ़ाने जा रही है। इसके तहत वह ज्यादा आसानी से गांवों के विकास के लिए फंड जारी करा सकेंगे। इसके अलावा इनमें ग्राम प्रधानों व पंचों के लिए पंचायत प्रतिनिधि कल्याण कोष का गठन, जिला योजना में ग्राम प्रधानों को प्रतिनिधित्व दिए जाने, आर्किटेक्ट फर्मों से विकास कार्य करवाने की छूट आदि कई अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगामी पांच दिसंबर को राजधानी में ग्राम प्रधान सम्मेलन में इनका ऐलान कर सकते हैं। इन प्रस्तावों अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह और निदेशक आगे बढ़ाने में जुटे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ् से भी संगठन के प्रतिनिधियों की वार्ता हो चुकी है। संगठन के प्रवक्ता ललित शर्मा का कहना है कि मुख्यमंत्री ने वार्ता के दौरान उपरोक्त मांगों पर जल्द ही कार्यवाही किये जाने का आश्वासन भी दिया था। उन्होंने बताया कि गांव में विकास कार्य करवाने के लिए अभी ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के इंजीनियरों से इस्टीमेट व एमबी बनवायी जाती है जिसमें बड़े पैमाने पर कमीशनखारी होती है जिससे विकास कार्यों की गुणवत्ता प्रभावित होती है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। इसलिए पंचायतीराज अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि ग्राम पंचायती अपने स्तर पर तकनीकी सेवाएं ले सकती हैं। उन्होंने बताया कि इसीलिए ग्राम प्रधान संगठन की मांग रही है कि प्रधानों को आर्किटेक्ट फर्मों से इस्टीमेट बनवाकर कार्य करवाने और एमबी तैयार करवा कर भुगतान करवाया जाए। अगर इस मामले में किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार होता है तो उसके लिए सम्बंधित ग्राम प्रधान, पंचायत सचिव और आर्किटेक्ट फर्म को जिम्मेदार ठहराया जाए। शर्मा ने कहा कि आगामी पांच दिसम्बर को उनके संगठन के संस्थापक महावीर दत्त शर्मा की पुण्यतिथि है। इस बार यह पुण्यतिथि लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में मनायी जाएगी जिसमें पूरे प्रदेश से करीब दो हजार प्रधान प्रतिनिधि शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि संगठन की अपेक्षा कि पांच दिसम्बर से पहले प्रदेश सरकार इन प्रस्तावों पर निर्णय ले ले और इस बाबत घोषणा पुण्यतिथि के कार्यक्रम में की जाए।
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योगी सरकार 58 हजार ग्राम प्रधानों के हित में करने जा रही है कई अहम फैसले