पटना । बिहार में शराबबंदी कानून को सफल बनाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार समीक्षा बैठक कर लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई के आदेश दे रहे हैं।वहीं विपक्ष हमलावर होकर शराबबंदी कानून फेल होने का आरोप लगा रहा है।इस बीच नीतीश की सहयोगी पार्टी भाजपा के विधायक ने शराबबंदी कानून को खत्म करने की मांग कर दी है। भाजपा विधायक की मांग के बाद बिहार के राजनीति गर्म हो गई है। भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने साफ तौर पर कहा कि जिस तरीके से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़ा दिल दिखाकर कृषि कानूनों को वापस ले लिया वैसे ही शराब बंदी कानून को भी नीतीश कुमार वापस ले लें।
अपनी मांग में भाजपा विधायक ने कह दिया कि पुलिस मिली हुई है। वह शराब बिकवा रही है।क्षेत्र में पूरी तरह से पुलिस मनमानी कर रही है। जो शराब बेचते हैं, उनके घर पुलिस नहीं जाती है। वही जो बेकसूर है उन्हें धमकाया जा रहा है। इसकारण कानून को वापस लिया जाना चाहिए। लाखों लोग इससे प्रभावित हो गए हैं। हम लोग वोट से जीते हैं लेकिन यह तंत्र नीतीश कुमार को भी फेल कर रहा है। रखवाला ही चोर बना हुआ है। रक्षक ही भक्षक बना हुआ है। इसलिए कानून वापस लेने से टैक्स से विकास होगा।
इसके पहले मुख्यमंत्री ने शराबबंदी को लेकर 7 घंटे तक की मैराथन समीक्षा बैठक की थी। अपनी बैठक में नीतीश कुमार ने कह दिया कि शराबबंदी के क्रियान्वयन में किसी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। शराबबंदी कानून को और प्रभावी बनाने के लिए गांव के चौकीदार से डीजीपी तक की जवाबदेही को तय कर दिया गया है। बैठक में कहा गया है कि शराबबंदी को लेकर लापरवाही बरतने वाले थानेदारों को अगले 10 सालों तक ड्यूटी नहीं करने दी जाएगी। अगर इसमें उनकी संलिप्तता पाई जाती है,तब उन्हें बर्खास्त करने तक की भी कार्रवाई की जा सकती है। इसके साथ कहा गया है कि सेंट्रल टीम अब राज्य भर में लगातार छापेमारी करेगी और कहीं भी अगर शराब बरामद होती है, तब संबंधित थानेदार को तत्काल सस्पेंड भी कर दिया जाएगा।
रीजनल ईस्ट
नीतिश सरकार में से उठी शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग