ताइपे । चीन में टेनिस खिलाड़ी पेंग शुआई के लापता होने के बाद से ही दुनिया भर में इस खिलाड़ी के समर्थन में अवाजें उठ रही हैं। पेंग ने पूर्व उप प्रधानमंत्री झांग गाओली पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाये थे। इसके बाद से ही वह अचानक गायब हो गयीं थीं। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय टेनिस संघ ने चीन को धमकी देते हुए कहा है कि उसे अंतराष्ट्रीय टूर्नामेंटों की मेजबानी नहीं मिलेगी। इसका चीन पर कोई असर नहीं पड़ा है क्योंकि वहां पहले भी कई महिलाएं लापता हुई हैं। इससे पहले यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराने में एक महिला की मदद करने वाली वांग जियानबिंग को भी हिरासत में ले लिया गया। इनकी तरह चीन में कई अन्य महिला अधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें सोशल मीडिया मंच पर प्रताड़ित किया गया है। कई कार्यकर्ताओं तथा पीड़ितों की इसी तरह आवाज दबाने के प्रयास भी हुए हैं। हुआंग शुएक्विन ने 2018 में चीन में ‘मीटू’ अभियान की शुरुआत की थी, जिससे सार्वजनिक रूप से इस मुद्दे पर बात की गई और पहली बार यौन उत्पीड़न को परिभाषित करने के लिए नागरिक संहिता स्थापित करने सहित कई उपाय किए गए पर इसे चीनी अधिकारियों के कठोर विरोध का सामना भी करना पड़ा जिसने यह अभियान बंद हो गया। अमेरिका में रहने वाली कार्यकर्ता लू पिन ने कहा कि महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों से वंचित किया जा रहा है। पिन अब भी चीन में महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ रही हैं। ‘मीटू’ अभियान और महिलाओं के अधिकारों पर सक्रियता रखने वाली महिलाओं को चीनी सरकार ने कितना प्रताड़ित किया है , इसका पता इस बात से चलता है कि चीन ने कई कार्यकर्ताओं को विदेशी एजेंट बता कर निशाना बनाया है। वहीं, जाने-माने सरकारी टीवी होस्ट झू जून पर बदसलूकी का आरोप लगाने वालीं झोउ ज़ियाओसुआन को भी सोशल मीडिया पर प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और अब वह अपने अकाउंट पर कुछ भी साझा नहीं कर सकती हैं।
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पेंग से पहले भी प्रताड़ित हुई हैं महिलाएं