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ममता की विस्तारवादी नीति से विपक्षी एकता को लग सकता है झटका

ममता की विस्तारवादी नीति से विपक्षी एकता को लग सकता है झटका

नई दिल्ली । तृणमूल कांग्रेस  की विस्तारवादी नीति से विपक्षी एकता को झटका लग सकता है। टीएमसी ने जिस तरह कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में जगह दी है, इससे दोनों पार्टियों के रिश्तों में कड़वाहट आई है। इसके साथ भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता की कोशिशों को भी झटका लगा है। संसद के शीतकालीन सत्र से पहले ममता बनर्जी ने दिल्ली में जिस तरह कांग्रेस नेताओं को पार्टी में शामिल किया है, इससे साफ है कि तृणमूल कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्वकर्ता की भूमिका निभाने के लिए बेताब है। इस सिलसिले में ममता जल्द महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार से भी मिल सकती हैं। ममता की इस नीति से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। क्योंकि, सबसे ज्यादा कांग्रेस नेता टीएमसी में शामिल हुए हैं। इसकी एक वजह यह है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। पार्टी नेतृत्व संकट के गुजर रही है। अंदरूनी कलह चरम पर है और कई वरिष्ठ नेता बागी तेवर अपनाए हुए हैं। मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के साथ 10 विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलें काफी दिनों से थी। पार्टी नेतृत्व ने संगमा को दिल्ली तलब कर उनकी नाराजगी को दूर करने की भी कोशिश की। पर, संगमा और उनके समर्थकों ने कांग्रेस नेतृत्व के बजाए तृणमूल कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया तृणमूल कांग्रेस बेहद सोच समझ के और सधी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है। यूपी में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल कर सकती है। पर, गोवा और मणिपुर में पार्टी कांग्रेस को खुली चुनौती दे रही है। तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2024 तक हम दस राज्यों में अपना विस्तार करना चाहते हैं। ममता की इस नीति से सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को हुआ है। क्योंकि, सबसे ज्यादा कांग्रेस नेता टीएमसी में शामिल हुए हैं। इसकी एक वजह यह है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। पार्टी नेतृत्व संकट के गुजर रही है। अंदरूनी कलह चरम पर है और कई वरिष्ठ नेता बागी तेवर अपनाए हुए हैं। मेघालय में पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा के साथ 10 विधायकों के पार्टी छोड़ने की अटकलें काफी दिनों से थी। पार्टी नेतृत्व ने संगमा को दिल्ली तलब कर उनकी नाराजगी को दूर करने की भी कोशिश की। पर, संगमा और उनके समर्थकों ने कांग्रेस नेतृत्व के बजाए तृणमूल कांग्रेस पर ज्यादा भरोसा जताया। तृणमूल कांग्रेस बेहद सोच समझ के और सधी रणनीति के तहत आगे बढ़ रही है। यूपी में तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के साथ तालमेल कर सकती है। पर, गोवा और मणिपुर में पार्टी कांग्रेस को खुली चुनौती दे रही है। तृणमूल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 2024 तक हम दस राज्यों में अपना विस्तार करना चाहते हैं।
 

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