धानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत गांवों को संपर्क मार्ग से जोड़ने की योजना को मनरेगा से ताकत मिल रही है। मनरेगा के तहत हर साल एक लाख किलोमीटर से ज्यादा सड़क बनाई गई है। मनरेगा के तहत पिछले पांच साल में पांच लाख 20 हजार किलोमीटर के करीब गांवों में संपर्क मार्ग बनाए गए हैं। जबकि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई ) के तहत हर साल औसतन 47 हजार किलोमीटर के करीब सड़क बन रही है। सरकार चाहती है कि अगले पांच साल में देश का कोई भी गांव ऐसा न हो जहां पक्के संपर्क मार्ग न हों। इसके लिए मनरेगा के बजट का इस्तेमाल किया जाएगा। ग्रामीण विकास मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि जहां प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ग्रामीण संपर्क मार्ग बनाना संभव नहीं है वहां मनरेगा का उपयोग हो रहा है। सरकार की कोशिश है कि अगले पांच साल में मनरेगा के बजट का बड़ा हिस्सा जल संरक्षण पर भी खर्च किया जाए। इसके लिए कन्वर्जेंस का सहारा लिया जाएगा। जल संरक्षण की योजना सभी पंचायतों तक पहुंचाने के लिए कार्यक्रम तैयार हो रहा है। सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा कि वर्ष 2014 से पहले मनरेगा के बजट के दुरुपयोग की बहुत ज्यादा शिकायतें सामने आती थीं। मौजूदा सरकार का फोकस मनरेगा के तहत स्थाई परिसंपत्ति तैयार करने और आधारभूत ढांचा मजबूत करने पर है।