बीजिंग । अमेरिका ने 'समिट ऑफ डेमोक्रेसीज' में शामिल होने के लिए भारत को न्यौता दिया है। इस वर्चुअल इवेंट में पीएम मोदी के हिस्सा लेने की संभावना है। भारत उन 100 से अधिक देशों में शामिल है, जिन्हें 9-10 दिसंबर को होने वाले वर्चुअल समिट के लिए आमंत्रित किया गया है। इस समिट से चीन, नाटो का सदस्य तुर्की और रूस को बाहर रखा गया है।
इस कार्यक्रम के लिए ताइवान को भी आमंत्रित किया गया है, जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। लोकतंत्र पर चर्चा के लिए आयोजित होने वाले 'समिट फॉर डेमोक्रेसी' में भाग लेने के लिए ताइवान को आमंत्रित करने के बाइडन प्रशासन के कदम पर चीन ने आपत्ति जताई बै। चीन ने बुधवार को अमेरिका को चेतावनी दी थी कि ताइपे को विश्व मंच देने से उसे परेशानी होगा। चीन ने शिखर सम्मेलन की आलोचना करते हुए कहा कि इसके आयोजन का मकसद अमेरिका के 'भू-राजनीतिक इरादों' को आगे बढ़ाना है।
इससे पहले अमेरिका के विदेश विभाग ने घोषणा की थी कि स्व-शासित द्वीप ताइवान सहित 110 देशों को 9-10 दिसंबर को आयोजित समिट फॉर डेमोक्रेसी के लिए आमंत्रित किया गया है। बैठक का आयोजन अमेरिका के नेतृत्व में होगा। खबर के अनुसार शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रितों की सूची से चीन को हटा दिया गया है। एशिया-प्रशांत क्षेत्र से आमंत्रित देशों में भारत, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और फिलीपीन भी शामिल हैं। सर्बिया सहित ज्यादातर यूरोपीय देशों को भी आमंत्रित किया जाता है, लेकिन बोस्निया और हर्जेगोविना और हंगरी को नहीं बुलाया गया है।
चीन लोकतंत्र शिखर सम्मेलन की यह कहकर आलोचना करता रहा है कि इस आयोजन का मकसद दुनिया को विभाजित करना है। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि लोकतंत्र संबंधी बैठक के लिए ताइवान को बुलाए जाने से चीन हैरान है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने मीडिया ब्रीफिंग में अमेरिकी कदम की तीखी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि चीन 'लोकतंत्र संबंधी शिखर बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिकी अधिकारियों द्वारा ताइवान को आमंत्रित करने का कड़ा विरोध करता है। दुनिया में एक ही चीन है और चीन की सरकार चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली एकमात्र कानूनी सरकार है। ताइवान चीन का एक अविभाज्य हिस्सा है और ताइवान को चीन का हिस्सा होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय कानून में कोई अन्य अंतरराष्ट्रीय दर्जा नहीं है।
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'समिट ऑफ डेमोक्रेसीज' में शामिल होने के लिए अमेरिका ने ताइवान को दिया न्यौता तो भड़का चीन