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जेवर एयरपोर्ट 30 ‎सितंबर को शुरू नहीं हुआ तो कंपनी पर रोजाना लगेगा 10 लाख का जुर्माना - एयरपोर्ट से लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उड़ान शुरू करने की कसरत शुरू 

जेवर एयरपोर्ट 30 ‎सितंबर को शुरू नहीं हुआ तो कंपनी पर रोजाना लगेगा 10 लाख का जुर्माना - एयरपोर्ट से लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उड़ान शुरू करने की कसरत शुरू 

नई ‎दिल्ली । उत्तर प्रदेश के नोएडा में बनने वाले देश के सबसे बड़े जेवर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से 30 सितंबर 2024 तक हर हाल में उड़ान शुरू हो जाएगी। अगर ऐसा नहीं होता है तो एयरपोर्ट बना रही स्विस कंपनी पर रोज़ाना 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह ने यह जानकारी दी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के अधिसूचना से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को जेवर एयरपोर्ट का शिलान्यास किया। इसके साथ ही इस एयरपोर्ट से लोकसभा चुनाव 2024 से पहले उड़ान शुरू करने की कसरत भी शुरू हो गई है। यमुना प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि अनुबंध के अनुसार 1095 दिन यानी 30 सितंबर 2024 से पहले जेवर एयरपोर्ट का काम पूरा हो जाना चाहिए। ऐसा ना होने की सूरत में निर्माण कंपनी पर रोजाना 10 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। 
जेवर में बन रहा एयरपोर्ट क्षेत्रफल के लिहाज से दुनिया का चौथा सबसे बड़ा एयरपोर्ट तथा एशिया और देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट होगा। गौरतलब है ‎कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिलान्यास समारोह के दौरान इंफ्रास्ट्रक्चर को अपनी राजनीति बताते हुए कहा था कि अगर काम समय से पूरा नहीं होगा तो पेनेल्टी का भी प्रावधान है। जुर्माने के प्रावधान के बारे में जब नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि अगर काम समय पर पूरा नहीं होगा तो निर्माता कंपनी पर रोजाना 10 लाख रुपए का जुर्माना लगेगा। दुनिया के चौथे सबसे बड़े जेवर एयरपोर्ट का निर्माण ज़्यूरिख़ एयरपोर्ट एजी की भारत में बने कंपनी यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड को वाईआईएपीएल दिसंबर तक डेवलपमेंट प्लान दे देगा. इस एयरपोर्ट में कुल 5 रनवे बनाए जाएंगे, जिसमें एक रनवे एमआरओ (मेंटेनेंस, रिपेयरिंग, ओवरहॉलिंग) का होगा। जहाजों की मरम्मत के लिए देश के 85 फीसदी प्लेन विदेशों में मरम्मत होने जाते हैं, जिससे हर साल 10 हज़ार करोड़ रुपए खर्च होते हैं। एमआरओ 40 एकड़ में बनाया जाएगा। एमआरओ के बनने से प्लेन की मरम्मत देश में ही हो सकेगी।
 

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