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विकास में बाधा डालने के लिए छेड़े जाते हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे: पीएम नरेंद्र मोदी

विकास में बाधा डालने के लिए छेड़े जाते हैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे मुद्दे: पीएम नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि उपनिवेशवादी सोच वाली कुछ बाहरी और आंतरिक शक्तियां भारत जैसे विकासशील देशों की राह में बाधाएं खड़ी कर रही है। पीएम मोदी ने संविधान दिवस के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले प्राप्त करने की ओर अग्रसर भारत एकमात्र देश हैं। इसके बावजूद भारत पर पर्यावरण के नाम पर भांति-भांति के दबाव बनाए जाते हैं। यह सब उपनिवेशवादी मानसिकता का ही परिणाम है। उन्होंने ने कहा कि भारत में भी कुछ लोग उपनिवेशवादी मानसिकता के हैं, जो कभी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तो कभी और किसी मुद्दे पर देश के विकास में रुकावटें पैदा करते हैं। उन्होंने कहा, 'अपने देश में भी कुछ लोग इसी मानसिकता के चलते विकास में रोड़े अटकाते हैं। कभी अभव्यिक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर तो कभी कभी किसी और चीज का सहारा लेकर ऐसा करते हैं। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि उनकी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास वश्विास-सबका प्रयास' के मूल मंत्र पर काम कर रही है, जो संविधान की भावना का सबसे सशक्त प्रकटीकरण है। मोदी ने यह भी कहा कि भारत की आजादी के बाद विश्व में उपनिवेश खत्म हो गए, पर उपनिवेशवादी मानसिकता अभी बनी हुई है। जिस राह पर चल कर पश्चिम के देश विकसित हुए, उस राह को भारत जैसे विकासशील देशों के लिए अलग-अलग नाम (मुद्दे) पर रोका जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा 1857 से अब तक पश्चिमी देशों ने भारत की तुलना में 15 गुना पूर्ण कार्बन उत्सर्जन किया है। अमेरिका का प्रति व्यक्ति पूर्ण कॉर्बन उत्सर्जन 20 गुना अधिक है। उन्होंने कहा कि भारत प्रकृति के साथ जीने की प्रवृत्ति वाली संस्कृति है। यहां पेड़ और पत्थरों को देवता की तरह से पूजा जाता है। भारत में वन क्षेत्र बढ़ रहा है। शेर और डाल्फिन की संख्या में वृद्ध हुई है। नवीकरणीय उर्जा के क्षेत्र में देश अग्रणी है। वाहनों के प्रदूषण मानकों को भारत ने अपने से सख्त किए है। फिर भी भारत को पर्यावरण पर उपदेश सुनाए जाते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि अमेरिका और यूरोप ने 1850 से अब तक भारत की तुलना में 20-20 गुना तक प्रति व्यक्ति प्रदूषण करके विकास की मंजिलें तय कीं, पर अब भारत जैसे प्रकृति प्रेमी देश और समाज को पर्यावरण संरक्षण के उपदेश दिए जा रहे हैं। उन्होंने नर्मदा बांध का उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में भी कुछ ताकतें विकास की राह में बाधाएं खड़ी करती हैं। नर्मदा के पानी के पहुंचने से आज गुजरात का रेगिस्तानी जिला कृषि उत्पाद के निर्यात के लिए विश्व में पहचान बना रहा है। यह वही कच्छ है, जो कभी लोगों के पलायन के लिए जाना जाता था। प्रधानमंत्री ने कहा कि बुनियादी अवसंरचना की योजनाओं में बाधा खड़ी करने का नुकसान उन्हें नहीं होता, जो बाधा खड़ी करते है, बल्कि इसका नुकासान बिजली, सड़क सम्पर्क और जीवन की अन्य सुविधाओं के अभाव में जीने वाली माताओं-पिता और उनके बच्चों को उठाना पड़ता है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा सरकार और न्यायपालिका दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा कि आजादी के आंदोलन में जो संकल्पशक्ति पैदा हुई, उसे और अधिक मजबूत करने में ये औपनिवेशिक सोच बहुत बड़ी बाधा है। हमें इसे दूर करना ही होगा और इसके लिए, हमारी सबसे बड़ी शक्ति, हमारा सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत, हमारा संविधान ही है। पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार बिना भेदभाव के पूरे देश के लाभ के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत के लोग आज जितना पा रहे हैं, उनका हक उससे ज्यादा बनता है। उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य की सिद्धि सबके साथ मिल कर काम करने से ही पूरी हो सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका की इसमें बड़ी भूमिका है। 
 

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