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'मांस खाने वाली' मधुमक्खियों के अस्तित्व का पता चला  -ये 'लाशों' पर दावत उड़ाती हैं 'गिद्ध मधुमक्खियां

'मांस खाने वाली' मधुमक्खियों के अस्तित्व का पता चला  -ये 'लाशों' पर दावत उड़ाती हैं 'गिद्ध मधुमक्खियां

वॉशिंगटन । ताजा अध्ययन में  'मांस खाने वाली' मधुमक्खियों के अस्तित्व का पता चला है। ये गिद्ध मधुमक्खियां शहद के लिए फूलों के बजाय 'शवों' पर जाकर बैठती हैं। इन मधुमक्खियों को उष्णकटिबंधीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। माना जाता है कि वे पौधों के अलावा किसी अन्य 'फूड सॉस' का इस्तेमाल करने वाली दुनिया में अपनी प्रजातियों में पहली हैं। 
यह भी माना जाता है कि मांस खाने वाली मधुमक्खी डंक रहित मधुमक्खियों के ट्रिगोना परिवार से है और कोस्टा रिका में पाई जा सकती है। यह रिसर्च कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने की है। यूसी रिवरसाइड के एंटोमोलॉजिस्ट डग यानेगा ने कहा कि ये दुनिया में एकमात्र मधुमक्खियां हैं जो पौधों की ओर से उत्पादित खाद्य स्रोतों का इस्तेमाल करने के लिए विकसित नहीं हुई हैं। यह खाने की आदतों में एक उल्लेखनीय बदलाव है। मधुमक्खियों को अब वैज्ञानिकों ने गिद्ध मधुमक्खी नाम दिया है क्योंकि दोनों की प्रकृति एक जैसी है।रिसर्च के लिए शोधकर्ता कोस्टा रिका गए और पौधों की शाखाओं पर कच्चे चिकन के टुकड़ों पर चारा लगाया। इसे चीटियों से बचाने के लिए उन्होंने पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल किया। गिद्ध मधुमक्खियां तुरंत चिकन के टुकड़ों की ओर आकर्षित हो गईं। आमतौर पर मधुमक्खियों का डंक इंसानों के लिए कई बार घातक साबित होता है। जहरीला न भी होने पर यह डंक त्वचा में सूजन और दर्द पैदा कर सकता है।
रानी मक्खी को वह एक धागे से बांधकर रोकते हैं और बाकी मक्खियां उसे बचाने के लिए आती हैं। वे रानी को घेर लेती हैं और धीरे-धीरे पूरा शरीर ढक जाता है। हालांकि, दाइसबा को इन्होंने कभी काटा नहीं है। हालांकि रवांडा के दाइसबा नाम के एक शख्स का दावा है कि हजारों मधुमक्खियां उनके शरीर पर चलती हैं और कभी उन्हें काटती नहीं हैं। दाइसबा बताते हैं कि सबसे पहले वह अपने ऊपर रानी मक्खी को रखते हैं और बाकी सब उसके पीछे-पीछे चली आती हैं। 
 

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