चेन्नई । तमिलनाडु के महाधिवक्ता आर षणमुगसुंदरम ने कहा कि राजीव गांधी हत्याकांड के सभी सात दोषियों को रिहा करने के मुद्दे पर द्रमुक के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। सरकार ने दोषियों में से एक नलिनी की याचिका पर उच्च न्यायालय में दायर अपने जवाबी हलफनामे में खारिज करने का आग्रह कर कहा कि यह कानून के लिहाज से ठीक नहीं है, जिसमें राज्यपाल की मंजूरी के बिना समय-पूर्व रिहाई की मांग की गई है। पिछली अन्नाद्रमुक सरकार ने सितंबर 2018 में मंत्रिमंडल प्रस्ताव के माध्यम से तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को मुरुगन, सांथन, एजी पेरारिवलन, पी जयकुमार, रविचंद्रन, रॉबर्ट पायस और नलिनी की रिहाई की सिफारिश की थी। इन सभी को मई 1991 में श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या करने के मामले में दोषी ठहराया गया था।
महाधिवक्ता ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एमएन भंडारी और न्यायमूर्ति पीडी ऑडिकेसवालु की प्रथम पीठ के समक्ष नलिनी द्वारा 2020 में दायर रिहाई याचिका के जवाब में सरकार का हलफनामा दायर किया। नलिनी और अन्य की इस तरह की राहत मांगने वाली विभिन्न याचिकाएं पूर्व में उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहकर खारिज की जा चुकी हैं, कि राज्यपाल को कोई निर्देश नहीं दे सकते हैं, क्योंकि उन्हें संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत अधिकार प्राप्त है। दायर जवाबी हलफनामे में नलिनी की याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया है। महाधिवक्ता ने पीठ से कहा कि इसी तरह की याचिका पेरारिवलन ने दायर की है, जो सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इस पर सात दिसंबर को सुनवाई होनी है।
पीठ ने सरकार को एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने का निर्देश देकर मामले को तीन सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दिया। इस बीच, एक सवाल के जबाव में क्या सातों दोषियों की रिहाई पर पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार के रुख से भिन्न मौजूदा द्रमुक सरकार के रुख में कोई बदलाव आया है, महाधिवक्ता ने ‘न’ में उत्तर दिया। उन्होंने कहा, राज्य के राज्यपाल की मंजूरी के बिना समय पूर्व रिहाई का आग्रह करने वाली नलिनी की याचिका को हम खारिज करने का आग्रह कर रहे हैं, क्योंकि यह कानून के लिहाज से ठीक नहीं है।
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राजीव गांधी हत्याकांड के सात दोषियों को रिहा करने के मुद्दे पर द्रमुक के रुख में कोई बदलाव नहीं