लखनऊ । भाजपा ने यूपी विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में 6 यात्राएं निकालेगी। ये यात्राएं यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों से होकर गुजरेंगी। इससे पहले कांग्रेस प्रदेश भर में प्रतिज्ञा रैली कर रही है। जबकि समाजवादी पार्टी विजय यात्रा निकाल रही है। भाजपा का कहना है कि इन राजनीतिक यात्राओं के जरिये वो पांच साल में पार्टी के कामों को जनता के बीच लेकर जाएगी। भाजपा के यूपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने यात्राओं का ऐलान किया है।
बीजेपी ने इन राजनीतिक यात्राओं के नामों का आधिकारिक ऐलान तो नहीं किया है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी उत्तर प्रदेश में विजय संकल्प यात्रा निकालेगी। हालांकि यह तय है कि कुल छह यात्राएं निकाली जाएंगी। ये यात्राएं राज्य के हर विधानसभा क्षेत्र से होकर गुजरेंगी। विधानसभा चुनाव के पहले पारंपरिक तौर पर ऐसी यात्राओं का आयोजन करती रही है। यूपी में बीजेपी मुख्यालय में मंगलवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया गया। इसमें प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान मौजूद रहे। विधान परिषद सदस्य विद्या सागर सोनकर को प्रदेश यात्रा प्रमुख बनाया गया है।
सूत्रों का कहना है कि यात्रा संभवतः 13 दिसंबर के बाद शुरू होगी। हर यात्रा 12-13 दिनों तक चलेगी। पार्टी के प्रमुख नेता इन यात्राओं को हरी झंडी दिखाएंगे। स्थानीय विधायक और सांसद अपने-अपने क्षेत्रों में इन यात्राओं में शामिल होंगे। माना जा रहा है कि ये यात्राएं लखनऊ में आकर खत्म होंगी औऱ दिसंबर के अंत में महारैली की जाएगी।
ये यात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यूपी में चुनाव को लेकर शंखनाद के बाद शुरू की जाएंगी। अगले हफ्ते पीएम मोदी यूपी का दो बार दौरा करेंगे। पहली बार वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जिले गोरखपुर जाएंगे, जहां वो एक खाद कारखाने का उद्घाटन करेंगे। इसके बाद वो अपने संसदीय क्षेत्र बनारस का दौरा करेंगे, जहां वो काशी विश्वनाथ कॉरीडोर प्रोजेक्ट का उद्घाटन करेंगे।
भाजपा यात्राओं के जरिये मोदी सरकार की साढ़े सात साल की उपलब्धियों और योगी सरकार की पांच वर्ष की उपलब्धियों को जनता के बीच लेकर जाएगी। योगी ने कहा कि 2017 के चुनावों से पहले हमने यात्रा निकालकर पिछली सरकार की खामियों को उजागर किया था। इस बार अपनी उपलब्धियां बताने और जनता का आशीर्वाद लेने फिर जनता के बीच जाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद से चली आ रही भाई-भतीजावाद, क्षेत्रवाद, भाषावाद, जातिवाद, मत और मजहब के दायरे में कैद होकर चली आ रही राजनीति को पीएम मोदी ने बदला है।
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