नई दिल्ली । कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने अपनी नई पुस्तक में लिखा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर भारत की संस्थागत पहुंच "सबसे कमजोर, सबसे खराब और गैर-मौजूद है।" उन्होंने अपनी पुस्तक "10 फ्लैश पॉइंट्स; 20 इयर्स - नेशनल सिक्योरिटी सिचुएशंस दैट इम्पैक्ट इंडिया" में
अपनी बात रखने के लिए सर्जिकल स्ट्राइक से लेकर चीनी घुसपैठ तक, हालिया चुनौतियों के लिए सरकार की प्रतिक्रिया पर ध्यान दिलाया है।
जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए हमले के बाद सितंबर 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में मनीष तिवारी ने लिखा, "ऐसा लगता है कि एनडीए ने दुर्भाग्यपूर्ण आकलन किया कि इन हमलों से राजनीतिक लाभ मिलता है।"
कांग्रेस ने बार-बार दावा किया है कि एनडीए ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए हमलों का प्रचार किया था। जबकि कांग्रेस के शासन के दौरान छह और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान दो हमलों को कोई प्रचार नहीं मिला।
भाजपा ने दावा किया है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी लॉन्चपैड्स के खिलाफ पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने कार्रवाई की थी। फरवरी 2019 के बालाकोट में हमलों के दौरान - जम्मू और कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध पर तिवारी ने ऐसी स्थिति में निहित जोखिमों की ओर इशारा करते हुए लिखा कि डी-एस्केलेशन के लिए कोई तंत्र नहीं था।
पिछले साल भारत के क्षेत्र में चीनी घुसपैठ को तिवारी ने 1962 के चीन-भारत सीमा युद्ध के से भी "डरावना" बताया। तिवारी ने लिखा, 2020 की गर्मियों में चीनी घुसपैठ में बीजेपी के नेतृत्व वाली सरकार की कमजोरी सामने आयी। उन्होंने इसे ठीक 20 साल पहले कारगिल घुसपैठ की घटना की पुनरावृत्ति बताया।
कांग्रेस ने सरकार से बार-बार सवाल किया है कि क्या घुसपैठ ने चीन को अपने नियंत्रण में अधिक भारतीय क्षेत्र दिया है।
तिवारी ने एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाने, सशस्त्र बलों के तीन अंगों को एकीकृत करने और हथियारों की खरीद प्रक्रिया को कारगर बनाने के सरकार के कदम पर भी सवाल उठाया।
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मनीष तिवारी ने अपनी नई पुस्तक में एनडीए सरकार की रक्षा नीति पर सवाल उठाया