YUV News Logo
YuvNews
Open in the YuvNews app
OPEN

फ़्लैश न्यूज़

नेशन

अगर आपने न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार किया है तो माफी का प्रश्न ही कहां है: सुप्रीम कोर्ट 

अगर आपने न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार किया है तो माफी का प्रश्न ही कहां है: सुप्रीम कोर्ट 

नई दिल्ली । अदालत की अवमानना कानून के तहत आरोपों से घिरे दो पुलिसकर्मियों की अर्जियों पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यदि आपने किसी न्यायिक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया है, तो 'माफी स्वीकार' करने का प्रश्न ही कहां है। इन दोनों पुलिसकर्मियों पर न्याय प्रशासन में कथित रूप से दखल देने को लेकर आरोप तय किये गए हैं। शीर्ष अदालत इन पुलिसकर्मियों द्वारा मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के 2018 के आदेश के विरूद्ध अलग-अलग दायर की गयी अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने कहा था कि 2017 में एक न्यायिक अधिकारी का कथित रूप से अपमान करने को लेकर इन पुलिसकर्मियों के विरूद्ध अदालत की अवमानना कानून के प्रावधानों के तहत मामला बनता है। न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर एवं न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। इन याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल ने इस मामले में उच्च न्यायालय के सामने 'बिना शर्त माफी मांग' ली है, लेकिन उसे स्वीकार नहीं किया गया और कानून के प्रावधानों के तहत आरोप तय कर दिये गये। याचिकाकर्ता उस वक्त कांस्टेबल के पद पर था। पीठ ने कहा, ''यदि आपने न्यायिक अधिकारी से दुर्व्यवहार किया है, तो माफी स्वीकार करने का प्रश्न ही कहां है। '' दूसरे याचिकाकर्ता, जो उस समय संबंधित थाने के प्रभारी थे, के वकील अमित आनंद तिवारी ने कहा कि ऐसा कोई आरोप नहीं है कि उनके मुवक्किल ने न्यायिक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया। पहले याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता कांस्टेबल थे और उन्हें इस आरोप पर अदालत की अवमानना करने को लेकर आरोपित किया गया है कि उन्होंने न्यायिक अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया। उन्होंने कहा, ''यह बिल्कुल अनजाने में हुआ। हमें पता नहीं था कि वह न्यायिक अधिकारी हैं।'' वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता पुलिस वाहन के चालक थे। पीठ ने कहा यह आपका बचाव है।'' वकील ने घटना का ब्योरा देते हुए कहा कि पुलिस एक चोर का पीछा कर रही थी और मजिस्ट्रेट की गाड़ी सड़क पर खड़ी थी, जिसके कारण यातायात बाधित था। जब उन्होंने यह कहा कि याचिकाकर्ता को यह ज्ञात नहीं था कि संबंधित व्यक्ति न्यायिक मजिस्ट्रेट है, तब पीठ ने कहा कि स्थानीय पुलिस को इलाके के न्यायाधीशों को जानना चाहिए।
 

Related Posts