नई दिल्ली । किसान आंदोलन की भावी रूपरेखा कार्ययोजना तय करने के लिए यहां सिंघू बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की एक अहम बैठक होगी। किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति गठन के वास्ते केंद्र को पांच नाम भेजे जाएं या नहीं-इस पर कोई भी फैसला इस बैठक में किया जाएगा क्योंकि उन्हें सरकार से कोई औपचारिक संदेश नहीं प्राप्त हुआ है। इस बैठक में प्रदर्शनकारी किसानों की लंबित मांगों पर चर्चा होगी जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी, किसानों पर दर्ज मामलों की वापसी, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों के लिए मुआवजा आदि शामिल हैं। एसकेएम की कोर समिति के सदस्य दर्शनपाल ने कहा, हमारी शनिवार को 11 बजे अहम बैठक है। हमारी लंबित मांगों पर चर्चा के साथ ही एसकेएम आंदोलन की भावी कार्ययोजना तय करेगा। चूंकि हमें एमएसपी पर पांच किसान नेताओं के नाम सौंपने का औपचारिक संदेश अबतक नहीं मिला है इसलिए हम बैठक में तय करेंगे कि हमें उसे (सरकार को) नाम भेजने हैं या नहीं। केंद्र ने एमएसपी एवं अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए मंगलवार को एसकेएम से पांच नाम मांगे थे। हालांकि बाद में एसकेएम ने एक बयान में कहा था कि उसके नेताओं को केंद्र से इस मुद्दे पर फोन आये थे लेकिन कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है। केंद्र तीन कृषि कानून वापस ले चुका है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित देश में किसानों की आय सतत रूप से बढ़ रही है। तोमर ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों कल आय बढ़ाने की कार्यनीति के साथ विभिन्न कार्यक्रमों, योजनाओं और नयी नीतियों का कार्यान्यन कर रही है। तोमर ने कहा कि राज्य सरकार की सहभागिता के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि को सुनिश्चित किया गया है। विशेष रूप से उत्तर प्रदेश का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम-किसान योजना के तहत, एक दिसंबर 2021 की स्थिति के अनुसार, कुल 2,56,57,436 किसानों को लाभान्वित किया गया है और करीब 38,031 करोड़ रुपये उनके बैंक खातों में अंतरित किए गए हैं। राहुल गांधी ने संवाददाताओं से कहा, ''संसद में सवाल किया गया था कि क्या किसान आंदोलन में 700 किसानों की मौत हुई? सरकार ने जवाब दिया कि उसके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। हम 503 नाम जारी कर रहे हैं। बाकी नामों का सत्यापन करने के बाद हम सूची जारी कर देंगे।'' उन्होंने दावा किया कि सरकार कोरोना महामारी में मारे गए लोगों और किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा नहीं देना चाहती है, जिस वजह से वह मौत के आंकड़े स्वीकार नहीं कर रही है। राहुल ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री और सरकार को मानवता दिखाते हुए किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को उचित मुआवजा देना चाहिए। उन्होंने कहा, ''पंजाब की सरकार ने ऐसे किसानों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया है। हमारी कोई गलती नहीं है। प्रधानमंत्री की गलती से लोगों की जान गई है।'' कांग्रेस नेता ने सवाल किया, ''जब प्रधानमंत्री ने अपनी गलती स्वीकार कर ली, माफी मांग ली तो फिर मुआवजा देने में क्या परेशानी है?
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सिंघू बॉर्डर पर किसान मोर्चा की अहम बैठक