ब्रोंकाइटिस दो प्रकार के होते हैं, तीव्र और दीर्घकालीन। तीव्र ब्रोंकाइटिस की बीमारी अल्पकालीन होती है जो कि विषाणु जनित रोग फ्लू या सर्दी-ज़ुकाम के होने के बाद विकसित होती है। इसके लक्षण बलगम के साथ सीने में बेचैनी या वेदना, बुखार और कभी कभी श्वास में तकलीफ का होना होता है। तीव्र ब्रोंकाइटिस कुछ दिनों या कुछ हफ़्तों तक जारी रहती है। दीर्घकालीन ब्रांकाइटिस के रोगी सांस की विभिन्न तकलीफें महसूस करते हैं और यह अवस्था वर्ष के अलग भागों में बेहतर या बदतर हो सकती है। ब्रोंकाइटिस का आयुर्वेदिक तरीकों से इलाज संभव है।
ब्रोंकाइटिस के कारण क्या हैं?
तीव्र ब्रोंकाइटिस उसी विषाणु के कारण होती है जिसके कारण सर्दी-ज़ुकाम और फ्लू होते हैं और दीर्घकालीन ब्रोंकाइटिस ज़्यादातर धूम्रपान से होती है। यद्पि, दीर्घकालीन ब्रोंकाइटिस तीव्र ब्रोंकाइटिस के अनवरत हमले के कारण भी होती है। इसके अलावा प्रदूषण, धूल, विषैले गैस, और अन्य औद्योगिक विषैले तत्व भी इस अवस्था के ज़िम्मेदार होते हैं। ब्रौन्काई में सूजन या जलन, खाँसी, श्वेत, पीले, हरे या भूरे रंग के बलगम का निर्माण, हाँफना, साँस की घरघराहट, थकावट, बुखार और सर्दी ज़ुकाम, सीने में पीड़ा या बेचैनी, बंद या बहती नाक आदि ब्रोंकाइटिस के लक्षण होते है। धूम्रपान करने,कमजोर प्रतिकारक क्षमता, वरिष्ठ और शिशु आदि को इसकी समस्या होने का खतरा ज्यादा रहता है।
ब्रोंकाइटिस के आयुर्वेदिक उपचार
ब्रोंकाइटिस की बीमारी आजकल तेज़ गति से बढ़ रही है, और खासकर के बच्चे इस बीमारी के शिकार जल्दी होते हैं। दूध में शक्कर की बजाय 1 या 2 चम्मच शहद मिलाकर पिलाने से ब्रोंकाइटिस से काफी हद तक राहत मिलती है। अगर नियमित रूप से दूध में शहद मिलाकर पिलाया जाये तो खांसी तुरंत भाग जायेगी और वापस नहीं आएगी।
एक गिलास दूध में चुटकी भर हल्दी डाल कर उबाल लें फिर इसे खाली पेट एक चम्मच देशी घी के साथ दिन में दो या तीन बार लें। इस उपाय को हर रोज अपनाने से ब्रोंकाइटिस की समस्या धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी।
सोंठ और दालचीनी को सामान मात्रा में पीस लें, और एक चम्मच आधे ग्लास पानी में मिलाकर उसे उबाल लें, और एक ही सांस में गरमागरम पी लें। इससे भी ब्रोंकाइटिस से तुरंत राहत मिलती है।
सोंठ और हरड का चूरा बनाकर अच्छी तरह मिला दें, और आधा चम्मच 2 चम्मच शहद के साथ मिलाकर सेवन करें, इससे ब्रोंकाइटिस के उपचार में सहायता मिलती है।15 ग्राम गुड़ के साथ 5 ग्राम सौंठ मिलाकर एक महीने तक नियमित रूप से सेवन करने से भी ब्रोंकाइटिस में राहत मिलती है।
अदरक के रस के 2 चम्मच शहद के दो चम्मच शहद के साथ सेवन करने से भी ब्रोंकाइटिस से राहत मिलती है। नियमित रूप से एक सेब का सेवन या 1 या 2 चम्मच आंवले के जाम का सेवन भी ब्रोंकाइटिस की राहत में काफी सहायक सिद्ध होता है।
लहसुन की दो तीन कलियों को काट कर दूध में डाल कर उबाल लें और रात को सोने से पहले पी लें।यह एक अच्छा एंटीबायोटिक है। इसमें एंटी वाइरल तत्व पाए जाते हैं। जितना हो सके उतना पानी पियें। वहीं कैफीन और एल्कोहल का सेवन न करें क्योंकि इनसे यूरीन अधिक होती है और शरीर का जल स्तर कम हो जाता है।
ब्रोंकाइटिस के रोगियों को धूम्रपान बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। उन लोगों से थोड़ा दूर रहें जो सर्दी-ज़ुकाम से ग्रस्त हैं। हर वर्ष फ्लू का टीका लगवाएं। निमोनिया का टीका भी लगवाना चाहिए, खासकर 60 वर्ष से ऊपर की उम्र वालों को। नियमित रूप से हाथों को अच्छी तरह से धोएं, खासकर कुछ खाने से पहले। नम, सर्द और प्रदूषण वाली जगहों से दूर रहें।
आरोग्य
ब्रोंकाइटिस का आयुर्वेदिक इलाज