दुबई । महामारी कोरोना के दुष्प्रभावों के चलते दुबई एक्सपो2020 में अरबों डॉलर खर्च होने के बाद भी इससे जुड़े हजारों कामगारों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ा है। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की श्रम व्यवस्था पहले से ही विवादास्पद रही है और देश में लंबे समय से श्रमिकों ने सही बर्ताव न होने के आरोप लगाए हैं। हालांकि दुबई प्रशासन इस संबंध में अपनी छवि के प्रति संवेदनशील है और उसे बखूबी मालूम है कि अपने श्रम नियमों के कारण वह दुनिया की नज़रों में है। मानवाधिकार समूहों और संवाद समिति की दो दर्जन से अधिक श्रमिकों के साथ गई बातचीत से यह मसला फिर सामने आया है। कामगारों का कहना है कि उनके श्रम अधिकारों का उल्लंघन होना अब भी जारी है।
श्रमिकों का कहना है कि उन्हें एक्सपो2020 में काम करने के लिए स्थानीय नियोक्ताओं को गैरकानूनी कानूनी शुल्क भी देना पड़ा है। वही नियोक्ताओं ने उनके पासपोर्ट भी जब्त कर लिए हैं। श्रमिकों का कहना है कि उनके रहने की जगह पर बहुत भीड़-भाड़ है और भोजन घटिया या महंगा है। उन्होंने कभी-कभी यूएई की भीषण गर्मी में एक सप्ताह के दौरान 70 घंटे तक काम करवाने के भी आरोप लगवाए। दुबई एक्सपो को पश्चिम एशिया के सबसे बड़े कारोबार आयोजन के तौर पर देखा जाता है। इस साल के आयोजन में 2.5 करोड़ मेहमानों के आने की संभावना है।
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दुबई एक्सपो-2020 में अरबों डॉलर खर्च के बाद भी कामगारों की मुश्किले बढ़ी