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जिले के कई प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी - जर्जर शाला भवन कभी भी दे सकते हैं हादसों को न्यौता

जिले के कई प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी - जर्जर शाला भवन कभी भी दे सकते हैं हादसों को न्यौता

नया शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने जा रहा है, लेकिन सरकारें बदल जाने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था की तस्वीर में कोई बदलाव नहीं आया है। जिले की अनेक प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में शिक्षकों की भारी कमी है। वहीं शाला भवन अत्यंत जर्जर है। जो कभी भी गिरकर बड़े हादसे को जन्म दे सकते हैं। 
जिले के 444 माध्यमिक स्कूलों में 26 हजार से अधिक और 780 प्राथमिक शालाओं में 37 हजार से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। जिले में कुल 28 शाला भवन जर्जर है। हालांकि विभाग के अनुसार इनमें शालाएं संचालित नहीं होती। 51 प्राथमिक शालाओं में पानी की व्यवस्था नहीं है। शालाओं में शिक्षकों की कमी है। कई शालाएं अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रही है। 22 बालक शालाओं में शौचालय नहीं है। 14 बालिका शालाओं में भी शौचालय नहीं है। माध्यमिक विद्यालय कुलमनखेड़ी शाला के सभी कक्षों में बारिश का पानी जमा हो जाता है। 2006 में भवन बना था। निर्माण के कुछ साल बाद ही यह जर्जर हो गया। इस स्कूल की शालाएं गांव के ही प्राथमिक स्कूल भवन में लगाई जा रही हे। ग्राम देवलाबिहार में लोहे की चद्दर लकड़ी की बल्लियों से बने शासकीय बालक प्राथमिक विद्यालय भवन की हालत भी खस्ता है। 
जर्जर भवन, टपकती छतें, उबड़ खाबड़ रास्ते, पेयजल नहीं, बिजली नहीं, यह सरकारी स्कूलों की आम समस्या है। शिक्षकों की कमी का तो कोई हिसाब ही नहीं है। शिक्षकों के स्वीकृत पदों की तुलना में 20 से 25 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं। हिन्दी के शिक्षक विज्ञान पढ़ा रहे हैं तो कहीं अंग्रेजी के शिक्षक हिन्दी पढ़ा रहे हैं। अतिथि शिक्षकों के भरोसे काम चलाया जा रहा है। कई स्कूलों के पास तो स्वयं के भवन तक नहीं है। बारिश में कई स्कूल भवनों के कक्षों में पानी भर जाता है। शाजापुर जिले में एक स्कूल ऐसा है जो मांगलिक भवन में संचालित होता है। जिस दिन कोई आयोजन हुआ उस दिन स्कूल की छुट्टी कर दी जाती है। ज्ञात रहे कि 24 जून से नया शैक्षणिक सत्र प्रारंभ हुआ है। ऐसे में हर साल की तरफ फिर इन्हीं समस्याओं से जूझना पड़ेगा। 

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