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ओटीटी प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिए सहमति बनने की जरुरत 

ओटीटी प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिए सहमति बनने की जरुरत 

नई दिल्ली । केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए सख्त नियमन की जरूरत को रेखांकित कर कहा कि ओवर दी टॉप(ओटीटी) प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिए व्यापक चर्चा एवं सहमति बनने की जरुरत है। वैष्णव ने कहा कि ओवर दी टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म के संबंध में सख्त मानदंड बनाने के लिए व्यापक चर्चा एवं आम सहमति बनने की जरूरत है, ताकि इसतरह के फिल्मों और धारावाहिकों के प्रसारण को नियंत्रित किया जा सके जो समाज एवं विभिन्न धर्मो में बैमनस्य पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के विस्तार और अधिक से अधिक भारतीयों के ऑनलाइन आने के साथ बच्चों के खिलाफ ऑनलाइन अपराधों सहित साइबर अपराध की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। मंत्री ने कहा, ‘‘ इस संबंध में कड़े नियमन के लिये आम सहमति बनाने की जरूरत है। इसमें कोई संदेह नहीं है। ’’
वैष्णव ने कहा कि साइबर क्षेत्र की कई चुनौतियां हैं, जो इसकी विशालता और सीमाहीन लक्षण के कारण हैं।इसकारण है कि सरकार ऐसी नीतियों और कार्यो के लिए प्रतिबद्ध है, जो यह सुनिश्चित करती है कि भारत में इंटरनेट हमेशा खुला, सुरक्षित और भरोसेमंद तथा सभी भारतीयों के लिए जवाबदेह है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीअरबी) अपने प्रकाशन "भारत में अपराध" में अपराधों पर सांख्यिकीय डेटा संकलित और प्रकाशित करता है। नवीनतम प्रकाशन रिपोर्ट वर्ष 2020 के लिए है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ने बताया कि एनसीआरबी द्वारा प्रकाशित अंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 और 2020 के दौरान बच्चों के खिलाफ साइबर अपराध के क्रमशः 306 और 1102 मामले दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार 'पुलिस' और 'लोक व्यवस्था' राज्य के विषय हैं। राज्य/केंद्र शासित प्रदेश अपनी कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलइए) के माध्यम से अपराधों की रोकथाम, पता लगाने, जांच करने और अभियोजन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं।
 

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