वॉशिंगटन । अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने लोकतांत्रिक संस्थानों के वैश्विक ह्रास को लेकर चिंता जताई है। बाइडेन ने लोकतंत्र विषय पर वाइट हाउस के पहले शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए विश्व के नेताओं का इसके लिए आह्वान किया कि वे आपस में सहयोग करें और यह दिखाएं कि लोकतंत्र क्या दे सकता है। उधर चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका लोकतंत्र को नए हथियार के रूप में विकसित कर रहा है। बाइडेन ने साथ ही कहा कि यह साथी नेताओं के लिए लोकतंत्र को मजबूत करने के प्रयासों को दोगुना करने के लिए एक महत्वपूर्ण समय है। उन्होंने उल्लेख किया कि उन्हें खुद उनके प्रयासों में तब सफलता मिली जब देश में मतदान अधिकार विधेयक पारित हुआ। उन्होंने अमेरिका में लोकतांत्रिक संस्थाओं और परंपराओं के लिए अपनी चुनौतियों का उल्लेख किया।
बाइडेन ने दो दिवसीय डिजिटल शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह एक जरूरी मामला है। हम जो आंकड़े देख रहे हैं वह काफी हद तक गलत दिशा की ओर इशारा कर रहे हैं। इस शिखर सम्मेलन में ऐसे विषयों पर चर्चा हो रही है जिसका उल्लेख बाइडेन ने राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले वर्ष की प्राथमिकता के तौर पर पूर्व में किया है। उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका और समान विचारधारा वाले सहयोगियों को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि लोकतंत्र समाज के लिए निरंकुशता से कहीं बेहतर है। व्हाइट हाउस का कहना है कि दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में 110 देशों के नेताओं और नागरिक समूहों के विशषज्ञों को भ्रष्टाचार को रोकने और मानवाधिकारों को सम्मान देने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर साथ मिल कर काम करने और विचार साझा करने का अवसर मिलेगा। सम्मेलन के पहले ही इस कार्यक्रम को उन देशों की आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है,जिन्हें इसमें आमंत्रित नहीं किया गया है।
अमेरिका के लिए चीन और रूस के राजदूतों ने नेशनल इंटरेस्ट पॉलिसी जर्नल में एक संयुक्त लेख लिखा जिसमें उन्होंने बाइडेन प्रशासन को शीत-युद्ध की मानसिकता प्रदर्शित करने वाला बताया, जो दुनिया में वैचारिक मतभेद और दरार बढ़ाएगा। प्रशासन को इन आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा कि उसने कैसे निर्णय लिया कि सम्मेलन के लिए किसे आमंत्रित करना है और किसे नहीं। वहीं बाइडेन प्रशासन का कहना है कि वर्चुअल माध्यम से आयोजित यह सम्मेलन एक अहम बैठक है, खासतौर पर ऐसे वक्त में जब दुनियाभर में आजादी का गहरा ह्रास का चलन सा चल रहा है। चीन इस बात को लेकर नाराज है कि अमेरिका ने सम्मेलन के लिए ताइवान को न्योता दिया है। स्वशासित द्वीप ताईवान 9-10 दिसंबर को आयोजित सम्मेलन में आमंत्रित किए गए 110 देशों में शामिल है। चीन ताईवान पर अपनी मुख्य भूमि होने का दावा करता है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि यह साबित होता है कि अमेरिका लोकतंत्र का राजनीतिकरण कर रहा और इसे हथियार का रूप दे रहा है। वांग ने कहा कि तथ्यों से पता चलता है कि लोकतंत्र के लिए तथाकथित सम्मेलन का लोकतंत्र को लेकर वैश्विक जन कल्याण से कोई लेना देना नहीं है बल्कि यह अमेरिका के स्वार्थ को पूरा करने तथा अमेरिकी वर्चस्व को कायम रखने के बारे में है। चीन सम्मलेन की यह कहते हुए आलोचना कर रहा है कि लोकतंत्र पर अमेरिका का एकाधिकार नहीं है और सम्मेलन का लक्ष्य विश्व को बांटना है।
वर्ल्ड
बाइडेन ने लोकतांत्रिक संस्थानों के वैश्विक ह्रास को लेकर जताई चिंता -लोकतंत्र पर शिखर सम्मेलन को लेकर चीन बोला, यह अमेरिका का नया हथियार